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यूपी : गोरखनाथ मंद‍िर पर हमले से पहले ही एटीएस की रडार पर था मुर्तजा, घर पर दबिश दे चुकी थीं सुरक्षा एजेंस‍ियां

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गोरखपुर, 5 अप्रैल। गोरखनाथ मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर पीएसी और पुलिस जवानों पर दाव (धारदार हथियार) से हमला करने का आरोपित अहमद मुर्तजा अब्बासी अचानक घर से लापता नहीं हुआ था।उसकी संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी सुरक्षा एजेंसियां कर रही थी। शनिवार को उसके बारे में कुछ इनपुट एटीएस को मिले थे। मामले की छानबीन के लिए एटीएस की टीम बाइक से अधिवक्ता बनकर पहुंची थी। स्वजन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन इसकी जानकारी होने पर अहमद मुर्तजा अब्बासी रात में घर छोड़कर चला गया। 18 घंटे बाद उसने वारदात कर दी।

शनिवार की शाम को लालरंग की पल्सर से सादे कपड़े में दो व्यक्ति अब्बासी नर्सिंग होम पहुंचे। उनके हाथ में एक कागज का टुकड़ा था। डाक्टर व कर्मचारियों के पूछने पर बताया कि मुर्तजा से मिलना है।यह पूछने पर कि आप लोग कौन हैं, किस संबंध में मिलना है और क्या काम है।दोनों व्यक्ति ने बताया कि वह अधिवक्ता हैं। नोटिस रिसीव कराना है। दोनों व्यक्ति के पास पिस्टल होने पर स्वजन को संदेह हुआ। स्वजन ने पुलिस को बताया कि देर शाम मुर्तजा घर आया तो उनके बारे में जानकारी देने के साथ ही सीसी कैमरे में कैद उनकी फुटेज दिखाया। जिसके बाद वह स्वजन को कुछ बताए बिना ही वह मोबाइल बंद कर घर से चला गया।

रविवार की शाम को गोरखनाथ मंदिर में वारदात के बाद पुलिस अधिकारी अब्बासी नर्सिंग होम पहुंचे तो स्वजन को पता चला। इसके बाद उन्होंने शनिवार को मुर्तजा को ढूंढते हुए दो लोगों के आने की जानकारी दी। फुटेज देखने पर पता चला कि एटीएस की टीम थी। चर्चा है कि घर से निकलने के बाद मुर्तजा नेपाल की तरफ गया था। घटना में इस्तेमाल दाव को भी उसने गोरखपुर से बाहर खरीदा था। मंदिर के बाहर मिले बैग से एक धार्मिक पुस्तक भी बरामद हुई है। जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में लिया है।

एटीएस व पुलिस की टीम 24 घंटे से मामले की जांच कर रही है। जिसमें यह साफ हो चुका है कि केमिकल इंजीनियर मुर्तजा के इरादे ठीक नहीं थे। वह चाहता तो घर के पास ही चौराहे पर पुलिस कर्मचारियों पर हमला करके अपना मंसूबा पूरा कर लेता। लेकिन वह गोरखनाथ मंदिर गेट पर गया। वहां उसने सुरक्षा कर्मचारियों पर हमला किया। काफी देर तक हाथ में धारदार हथियार लेकर उत्पात मचाता रहा।

पुलिसकर्मियों ने धैर्य व साहस दिखाकर उसे काबू में कर लिया। यदि पुलिस कर्मचारी गोली चलाते तो कोई भी हादसा हो सकता था। क्योंकि उस समय मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था। ऐसे में मुर्तजा हमला करके कोई बड़ा मैसेज देने की तैयारी में था।