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यूपी : लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा की जमनत रद्द, फिर जाना पड़ेगा जेल

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लखनऊ,18 अप्रैल। लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में बीते वर्ष तीन अक्टूबर को उपद्रव के बाद हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में केन्द्र सरकार के मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू को राहत नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जमानत देने के बाद बीती दस फरवरी को जेल से रिहा होने वाले आशीष मिश्रा को फिर से जेल जाना पड़ेगा। किसानों ने आशीष की जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी, जिसपर शीर्ष कोर्ट ने फैसला 14 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने टेनी के पुत्र की जमानत को रद कर दिया है।

लखीमपुर खीरी के हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की आजादी पर अंकुश लगा दिया है। इस केस में किसान पक्ष के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्रा की जमानत के विरोध में याचिका दायर की थी।

इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्र की जमानत के खिलाफ स्पेशल लीव प्रीडीशियन (एसएलपी) दाखिल की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में 24 मार्च, 30 मार्च, चार अप्रैल और 14 अप्रैल को सुनवाई की गई और सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखा था। आज कोर्ट ने मोनू की जमानत रद करने के साथ ही एक हफ्ते में सरेंडर करने का निर्देश दिया। अब आशीष मिश्रा को फिर से लखीमपुर खीरी जेल में जाना पड़ेगा।

लखीमपुर खीरी में हिंसा में मृत किसानों के परिवार के लोगों ने 21 फरवरी को आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी। इन सभी ने कहा था कि आशीष मिश्रा को जमानत देने में हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट को नजरअंदाज कर दिया था। आशीष मिश्रा मोनू के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं और गवाहों को जान को खतरा है।

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में तीन अक्टूबर को हिंसा के मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 लोगों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।

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