मथुरा, 8 मार्च। गुलाल और अबीर के त्योहार होली आने में अभी एक सप्ताह से अधिक का समय है मगर कान्हा की नगरी मथुरा में बल्लभकुल संप्रदाय के मंदिरों में रंगों के त्योहार की धूम मची हुयी है। बल्लभकुल सम्प्रदाय के मन्दिरों में होली की धूम मची हुई है जहां मां यशोदा कान्हा की होली के लिए रंग बिरंगे गुलाल की व्यवस्था कर रही हैं वहीं वे कान्हा के लिए तरह तरह के पकवान तैयार कर रही हैं। होली खेलने मे कान्हा को भूख लग आती है इसलिए ही वे कान्हा के लिए नाना प्रकार के व्यंजन तैयार करती हैं। मां यशोदा की भूमिका मन्दिर के मुखिया निभाते हैं।
बल्लभकुल सम्प्रदाय के प्रमुख मदनमोहन मन्दिर एवं मथुराधीश मन्दिर के सेवायत आचार्य ब्रजेश मुखिया ने बताया कि राजभोग आरती में ठाकुर के लिए झारी एवं बंटा रखा जाता है जहां झारी में पीने का पानी होता है वहीं बंटा में पान की बीरी के साथ ही थाल में सूखे मेवे से बनी मिठाई जिसे सागघर कहा जाता है, रखा जाता है। कभी कभी इसमें दूधघर यानी दूध की बनी मिठाई होती है। मां यशोदा थाल में रखी सामग्री को कभी झुनझुना, कभी पालना, कभी हिंडोला, कभी वृक्ष अथवा यमुना आदि का स्वरूप अपने लाला को बहलाने के लिए देती हैं।
उन्होंने बताया कि जितने समय मां यशोदा थाल सजाती हैं, उतनी देर में ही श्यामाश्याम की होली सखियों की उपस्थित में शुरू हो जाती है। राजभोग के दर्शन खुलने के बाद होली शुरू हो जाती है। इस होली से पहले गर्भगृह की पिछवाई और लाला के वस्त्रों में चन्दन और चोबा लगाया जाता है तथा लाला के कपोल में गुलाल और ठोढ़ी में अबीर लगाया जाता है। उधर बाहर सखा होली खेलने का इंतजार करते रहते हैं।