लखनऊ, 10 मार्च। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर भले ही दो तिहाई बहुमत से लगातार दूसरी बार सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ के दो नायबों में एक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के दांव में फंस गए और जातीय समीकरण में उलझकर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
दिलचस्प यह रहा कि केशव मौर्य को भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) की प्रमुख व
दरअसल, सिराथू केशव प्रसाद मौर्य की जन्मस्थली भी है। लेकिन यह क्षेत्र कभी बसपा का गढ़ हुआ करता था और 2012 से पहले यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी। वर्ष 1993 से 2007 तक यहां लगातार बसपा ने जीत हासिल की। 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन के चलते यह सीट सामान्य हो गई और केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते थे।
भाजपा एजेंट के हंगामे के चलते मतगणना भी रोकनी पड़ी
सिराथू में मतगणना के दौरान तनातनी भी देखने को मिली और देश शाम उलटफेर की आशंका के बीच भाजपा के एजेंट रिकाउंटिंग की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। इस बीच कुछ देर के लिए मतगणना भी रोकी गयी।
बहू बनाम बेटे की जंग में हार गए केशव प्रसाद
गौरतलब है कि पल्लवी पटेल खुद को कौशांबी की बहू बताती हैं क्योंकि उनके पति पंकज निरंजन इसी जिले के निवासी हैं। दूसरी तरफ केशव प्रसाद मौर्य की जन्मभूमि कौशांबी है। ऐसे में सिराथू का मुकाबला बहू बनाम बेटा का हो गया, जिसमें केशव प्रसाद के हिस्से हार आई।