लखनऊ, 3 सितम्बर। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को सपा पर निशाना साधा। मौर्य ने ट्वीट किया कि सपा को कानून व्यवस्था और शिक्षा पर बोलने का नैतिक आधार नहीं है। यूपी की छवि के सपा सरकार में पूरे विश्व में खराब हुई थी। सपा नेताओं के बयान सभ्य समाज को शर्मिदा करने का काम करते थे। वही पिछली सरकार में भर्तियों में रिकॉर्ड भ्रष्टाचार होता था जिसे जनता कभी नहीं भुला सकती।
क़ानून व्यवस्था,शिक्षा पर सपा को बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है!
यूपी की छवि को सपा सरकार के समय पूरे विश्व में ख़राब हुई थी,महिला अपराधों सपा नेताओं के बयान सभ्य समाज को शर्मिंदा करते थे,नक़ल को वैधता प्रदान की,भर्तियों में रिकॉर्ड भ्रष्टाचार,कभी भुलाया नहीं जा सकता है!#सुशासन— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) September 3, 2022
वर्तमान में अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शिक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर आमने-सामने हैं। दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। समाजवादी पार्टी यूपी की शिक्षा व्यवस्था पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की रही है।
इसी क्रम में सपा ने ट्वीट किया था कि बीजेपी सरकार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गया है। मिशन कायाकल्प के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी स्कूल के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। शिक्षकों के कई पद खाली है, लेकिन बीजेपी सरकार केवल वादों के सहारे अपने दिन काट रही है।
सपा ने आगे कहा कि बीजेपी सरकार में बच्चों के पास स्कूल ड्रेस और जूते नहीं हैं। अभी तक स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें नहीं बटी हैं। ऐसे में बच्चें कैसे पढ़ाई कर पाएंगे। हालांकि इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि राज्य के 11 हजार प्राथमिक विद्यालय पीपीपी मॉडल के तहत पूंजीपतियों को देने की योजना बनाई जा रही है। ऐसे में गरीब तबके के बच्चें कहा पढ़ाई करेंगे।
सरकारी स्कूलों में यदि अच्छे शिक्षक होंगे, सुविधाएं अच्छी होंगी और बच्चों का शैक्षणिक, मानसिक और शारीरिक हर तरह का विकास होगा और साथ ही उसमें उनकी दबी-छिपी प्रतिभा को पहचानने-निखारने का प्रयास होगा तो न बच्चे स्कूल छोड़ेंगे न अभिभावक छुड़वाएँगे।
भाजपा शिक्षा की उपेक्षा बंद करे।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 1, 2022
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “सरकारी स्कूलों में यदि अच्छे शिक्षक होंगे, सुविधाएं अच्छी होंगी और बच्चों का शैक्षणिक, मानसिक और शारीरिक हर तरह का विकास होगा और साथ ही उसमें उनकी दबी-छिपी प्रतिभा को पहचानने-निखारने का प्रयास होगा तो न बच्चे स्कूल छोड़ेंगे न अभिभावक छुड़वाएंगे।”