लखनऊ, 8 जून। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार अपने सहयोगियों को सख्त संदेश देते हुए कहा है कि राज्य सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी ‘वीआईपी संस्कृति’ छोड़ आमजन के बीच जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के एक बयान में यह जानकारी दी गई है। सीएम योगी ने मंत्रिपरिषद की विशेष बैठक में कहा, ‘हम सभी को सतर्क और सावधान रहना होगा ताकि हमारी कोई भी गतिविधि वीआईपी संस्कृति को प्रतिबिंबित न करे।’
मंत्रियों को दिया ‘संवाद, समन्वय, संवेदनशीलता‘ का मंत्र
अपने मंत्रियों को ‘संवाद, समन्वय, संवेदनशीलता’ का मंत्र देते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें नियमित रूप से लोगों के बीच जाने और उनके बीच रहने का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा, ‘सरकार जनता के लिए है और हमारे लिए जनता का हित सर्वोपरि है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की समस्याओं, अपेक्षाओं और जरूरतों का समाधान किया जाना चाहिए। जन सुनवाई को प्राथमिकता देना, आम आदमी की संतुष्टि और प्रदेश की प्रगति यूपी सरकार के सभी जन कल्याणकारी प्रयासों के मूल में है।’
मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी महाराज ने आज मंत्रिमण्डल की बैठक में मंत्रिगण को ‘संवाद, समन्वय और संवेदनशीलता’ का मंत्र देकर जनता के बीच भ्रमण के निर्देश दिए हैं।
महाराज जी ने कहा है कि मंत्रिगण फील्ड में जाएं, संवेदनशीलता के साथ जनता से संवाद करें और स्थानीय… pic.twitter.com/6DrZFx3IeF
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) June 8, 2024
‘केंद्र और राज्य सरकारों की उपलब्धियों का व्यापक प्रचार करें‘
सीएम योगी ने अपने मंत्रियों से केंद्र और राज्य सरकारों की उपलब्धियों का ‘व्यापक प्रचार’ करने, सोशल मीडिया पर अपनी सक्रिय भागीदारी बढ़ाने और जनता को ‘डबल इंजन सरकार’ की नीतियों, निर्णयों और सकारात्मक परिणामों से अवगत कराने को भी कहा। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 10 वर्षों में जिस तरह उत्तर प्रदेश में विकास को गति मिली है, हमारी सरकार आने वाले पांच वर्षों में कई नए कीर्तिमान बनाने में सफल होगी।’
मुख्यमंत्री ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को बधाई भी दी। हालांकि, भगवा पार्टी ने देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में खराब प्रदर्शन किया, जो 543 सीटों वाली लोकसभा में सबसे अधिक 80 सदस्य भेजता है। पार्टी ने केवल 33 सीटें जीतीं, जो 2014 में 71 और 2019 में 62 से लगभग आधी है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने 43 (37+6) सीटें जीतीं।