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यूपी : डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत इन छह मंत्रियों को विधान परिषद भेजेगी भाजपा

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लखनऊ, 30 मई। उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल में शामिल ऐसे मंत्रियों को विधान परिषद की सदस्यता दिलाई जाएगी, जो अब तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। भाजपा सरकार के ऐसे मंत्रियों को किसी न किसी सदन का मंत्री बनने के बाद छह महीने के अंदर सदन का सदस्य होना अनिवार्य है।

ऐसे मंत्रियों में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर , पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अली, आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु तथा औद्योगिक विकास राज्य मंत्री जसवंत सैनी का नाम तय है।

विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त हो रहा

राज्यसभा की चुनाव प्रक्रिया के बीच अब विधान परिषद की रिक्त हो रही 13 सीटों के लिए भी चुनाव प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त हो रहा है। परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव की अधिसूचना 2 जून को जारी की जाएगी। इसके लिए जल्द ही राजनीतिक दलों की तरफ से प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया जाएगा। इन सभी सीटों के लिए 20 जून को मतदान किया जाएगा।

योगी आदित्यनाथ के विधानसभा सदस्य बनने के बाद उनका स्थान भी रिक्त चल रहा है। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह, कांग्रेस के दीपक सिंह, सपा के जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डा कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुंदर निषाद एडवोकेट, सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शतरुद्र प्रकाश, बसपा के अतर सिंह राव, सुरेंदर कुमार कश्यप और दिनेश चंद्रा का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त होगा।

नामांकन 2 से 9 जून तक किए जाएंगे दाखिल

चुनाव आयोग से जारी कार्यक्रम के अनुसार नामांकन 2 से 9 जून तक दाखिल किए जाएंगे। 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 13 जून तक उम्मीदवार नाम वापस ले सकेंगे। 20 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। शाम 5 बजे से मतगणना होगी।

13 सीटों के चुनाव में भाजपा को आठ से नौ और सपा को चार से पांच सीट मिल सकती है। विधानसभा में भाजपा गठबंधन के 273 और सपा गठबंधन के 125 विधायक है। एक सीट के लिए करीब 31 मतों की आवश्यकता होगी। गौरतलब है कि गोरखपुर से विधायक निर्वाचित होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।