लखनऊ, 10 जुलाई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को बृहस्पतिवार को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर आपत्ति उठाई गई कि मामले में उठाए गए मुद्दे पहले ही सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका में एकल पीठ ने निर्णीत कर दिए हैं। ऐसे में समान मुद्दों को लेकर दाखिल यह याचिका सुनवाई को ग्रहण करने योग्य नहीं है।
सरकार की इस आपत्ति पर गौर कर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता ज्योति राजपूत की जनहित याचिका पर दिया। इसमें राज्य सरकार के स्कूलों के विलय या दो स्कूलों को जोड़ने के राज्य सरकार के बीती 16 जून के आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया था।
याची ने गांवों के दूरदराज इलाकों में रहने वाले गरीबों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए परिवहन व्यवस्था किए जाने की भी गुजारिश की। याचिका में आर टी ई अधिनियम के तहत राज्य सरकार को बच्चों के परिवहन के दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया था। याची ने स्कूलों के विलय को गरीब बच्चों के हितों के खिलाफ कहा।
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ दलील दी कि पिछली सात जुलाई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूलों के विलय के खिलाफ सीतापुर के 51 बच्चों द्वारा दाखिल याचिका समेत एक अन्य याचिका पर विस्तृत फैसला देकर खारिज कर दिया है। ऐसे में समान मामले में यह जनहित याचिका सुनवाई को ग्रहण करने लायक नहीं है। कोर्ट ने सरकार की ओर से उठाई गई शुरुआती आपत्ति के मद्देनजर जनहित याचिका खारिज कर दी।

