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राजस्थान में हलचल : पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा, बोले – आज ही करो मंजूर

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बाड़मेर (राजस्थान), 18 मई। राजस्थान की सियासत में मंगलवार को अपराह्न उस समय हलचल तेज हो गई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सचिन पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को भेजे इस्तीफे में इसे आज ही मंजूर करने के बारे में भी लिखा है।

सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री से नाराजगी

समझा जाता है कि राज्य में कांग्रेस सरकार के गठन से ही हेमाराम सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस्तीफा मंजूर होने के बाद वह कारण बताएंगे कि क्यों इस्तीफा दिया। इससे पहले भी वह एक बार इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन तब इसे मंजूर नहीं किया गया था।

गुड़ामालानी से छठी बार विधायक बने और पूर्व में परिवार कल्याण मंत्री एवं राजस्व मंत्री रह चुके हेमाराम की गिनती राज्य की राजनीति में कद्दावर नेताओं में की जाती है। उन्होंने बताया, ‘मैंने अपना इस्तीफा दोपहर में डेढ़ बजे ईमेल के जरिए विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी के भेजा है और उनके पीए को ह्वाट्सएप कर दिया है। मैंने इस्तीफा आज ही मंजूर करने का उल्लेख भी किया है।’

पायलट को ही चौधरी के इस्तीफे की भनक नहीं थी

घटनाक्रम का दिलचस्प पहलू यह रहा कि हेमाराम के इस्तीफे की खुद सचिन पायलट को ही खबर नहीं थी। इस बाबत पता चलते ही उन्होंने फोन पर हेमाराम से बात की। समझा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच लगभग पांच मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान चौधरी ने पायलट को अपने इस्तीफे की वजह बताई।

पिछले वर्ष भी गहलोत की खुलकर मुखालफत की थी

गौरतलब है कि पिछले वर्ष जब राजस्थान में सियासी भूचाल आया था, तब सचिन पायलट के समर्थन में बाड़ेबंदी में मानेसर जाने वाले विधायकों में चौधरी भी शामिल थे। उस दौरान उन्होंने खुलकर कहा था कि कांग्रेस को बचाना है तो नेतृत्व बदलना बहुत जरुरी है। हालांकि तब उच्चस्तरीय सुलह के बाद वह मान गए थे। इसके अलावा वह समय-समय पर पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाते रहते हैं।

वैसे हेमाराम की नाराजगी बाड़मेर से ही आने वाले मंत्री हरीश चौधरी से भी मानी जाती है, लेकिन अब वह भी सचिन पायलट गुट के प्रमुख सदस्य हैं। ऐसे में हेमाराम का इस्तीफा देने का निर्णय सीधा सचिन पायलट के साथ जुड़ता है और इस्तीफे जैसी बड़ी घटना इस ओर इशारा करती है कि क्या राजस्थान में फिर कोई राजनीतिक उठापटक हो सकती है अथवा फिर यह केवल एक दबाव बनाने की राजनीति है।

विधानसभा से वीआरएस तक मांग चुके हैं चौधरी

दरअसल वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार के गठन से ही हेमाराम ने बगावती तेवर अख्तियार कर रखा है। मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते पहले ही नाराज चल रहे हेमाराज ने अपने क्षेत्र में काम नहीं होने पर विधानसभा में खड़े होकर यहां तक कह दिया था – ‘अगर मेरे क्षेत्र के काम नहीं किए जाएं तो फिर ऐसी विधायकी किस काम की। मुझे विधानसभा से वीआरएस दे दिया जाए।’

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