भोपाल, 20 दिसम्बर। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क बनने के लिए अमेरिका को पीछे छोड़ने वाला है।
भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन के प्रायोरिटी कॉरिडोर का उद्घाटन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन के प्रायोरिटी कॉरिडोर के उद्घाटन के उपरांत मनोहर लाल ने बताया कि भारत अभी दुनिया में तीसरे नंबर पर है, जो सिर्फ चीन और अमेरिका से पीछे है। भोपाल में लगभग 7 किलोमीटर के हिस्से के सफल लॉन्च के साथ भारत का ऑपरेशनल मेट्रो नेटवर्क 26 शहरों में बढ़कर लगभग 1,090 किलोमीटर हो गया है।
आज भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री @DrMohanYadav51 जी के साथ, भोपाल मेट्रो रेल सेवा का शुभारंभ किया।
भोपाल मेट्रो का यह पहला चरण ऑरेंज लाइन ‘प्रायोरिटी कॉरिडोर’ के अंतर्गत 7 किलोमीटर लंबे खंड में फैला है,… pic.twitter.com/Zlq6ADktSJ
— Manohar Lal (@mlkhattar) December 20, 2025
खट्टर ने इस इंफ्रास्ट्रक्चरल छलांग के लिए एक तुलनात्मक रोडमैप पेश किया और बताया कि अमेरिका में अभी कुल मेट्रो की लंबाई लगभग 1,400 किलोमीटर है। विभिन्न भारतीय शहरों में लगभग 900 किलोमीटर के मेट्रो प्रोजेक्ट अभी पाइपलाइन में हैं या बन रहे हैं।
केंद्रीयन मंत्री ने भरोसा जताया कि भारत अगले दो से तीन सालों में 310 किलोमीटर का गैप पूरा कर लेगा और अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। यह तेज़ी से हो रहा विस्तार दो दशक पहले की शहरी मोबिलिटी की स्थिति से बिल्कुल अलग है, जब मेट्रो सेवाएं सिर्फ पांच शहरों तक ही सीमित थीं।
इंदौर के बाद मेट्रो सेवाएं देने वाला एमपी का दूसरा शहर बना भोपाल
इंदौर के बाद भोपाल अब मध्य प्रदेश का दूसरा शहर बन गया है, जहां मेट्रो सेवाएं शुरू हो गई हैं। नए शुरू किए गए प्रायोरिटी कॉरिडोर को लगभग 2,225 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया गया है, जिसमें आठ एलिवेटेड स्टेशन हैं, जो प्रमुख कमर्शियल और रिहायशी इलाकों को जोड़ते हैं। यह प्रोजेक्ट शहर के लिए 10,033 करोड़ रुपये की बड़ी फेज-1 योजना का हिस्सा है।
LIVE: भोपाल मेट्रो का शुभारंभ https://t.co/p4lREHlUXT
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अधिकारियों का कहना है कि भारत के मेट्रो नेटवर्क का विकास आत्मनिर्भरता पर भी जोर देने से हो रहा है। “मेक इन इंडिया” पहल के तहत, लगभग 75% मेट्रो कोच और सिग्नलिंग उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा अब देश में ही बनाया जा रहा है। जैसे-जैसे देश भर में रोज़ाना यात्रियों की संख्या 1.2 करोड़ से ज्यादा हो रही है, मंत्रालय इलेक्ट्रिक बसों और बिना किसी रुकावट के मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के जरिए लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को और प्राथमिकता दे रहा है।

