केवड़िया, 10 जुलाई। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत ‘पंच संकल्प’ उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होगा। उन्होंने गुजरात के केवड़िया में गुरुवार से आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। एनपीए 2020 के कार्यान्वयन की समीक्षा, मूल्यांकन और रणनीति बनाने के लिए आयोजित इस सम्मेलन में 50 से अधिक अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलपति भाग ले रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक में उपस्थित लोगों से प्रत्येक विश्वविद्यालय में NEP 2020 के पूर्ण कार्यान्वयन हेतु एक रणनीति पत्र तैयार करने का आह्वान किया। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए – विषयों का बहु-विषयक एकीकरण, भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को मुख्यधारा में लाना, कौशल विकास और अप-स्किलिंग को बढ़ावा देने हेतु प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा हेतु रणनीतियां तैयार करना, नवाचार पर केंद्रित परिसर पहल और प्रत्येक विश्वविद्यालय परिसर में पारंपरिक मूल्यों के साथ प्रौद्योगिकी के एकीकरण और कुलपति सम्मेलन जैसे सम्मेलनों का आयोजन।
On the auspicious occasion of #GuruPurnima delighted to address leading minds shaping the future of Bharat’s higher education at the Chintan Shivir of Vice Chancellors’ in Kevadiya.
A shared mission, this two-day Chintan Shivir is a vibrant platform for all academic leaders to… pic.twitter.com/lFmaualSPb
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) July 10, 2025
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत के उच्च शिक्षा इकोसिस्टम में मौलिक परिवर्तन हुआ है, जिससे यह समायोजन योग्य, बहु-विषयक, समावेशी और नवाचार संचालित बन गया है। इसके परिणामस्वरूप, कुल छात्र नामांकन 4.46 करोड़ तक पहुंच गया है, जो 2014-15 की तुलना में 30 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, महिला नामांकन में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और महिला जीईआर अब पुरुष जीईआर से अधिक हो गई है, पीएचडी नामांकन लगभग दोगुना हो गया है और महिला पीएचडी स्कॉलरशिप में 136 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, अनुसूचित जनजातियों के लिए जीईआर में 10 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है, जबकि एससी के लिए 8 प्रतिशत अंकों से अधिक की वृद्धि हुई है।
प्रधान ने आगे कहा कि यह समावेशी शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि सकारात्मक नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप 1,200 से अधिक विश्वविद्यालय और 46,000 से अधिक महाविद्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे भारत विश्व स्तर पर सबसे बड़ी प्रणालियों में से एक बन गया है।
अपने संबोधन के दौरान प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पंच संकल्प की अवधारणा पर प्रकाश डाला, जो विश्वविद्यालयों के गुरुकुलों में कुलपतियों के लिए दिशानिर्देश होगा। इसके प्रमुख विषय हैं – अगली पीढ़ी की उभरती शिक्षा, बहु-विषयक शिक्षा, नवीन शिक्षा, समग्र शिक्षा और भारतीय शिक्षा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कुलपतियों से निम्नलिखित उद्देश्यों के माध्यम से शैक्षणिक त्रिवेणी संगम के उद्देश्यों को लागू करने के लिए बदलाव लाने का आह्वान किया – अतीत का उत्सव मनाना (भारत की समृद्धि), वर्तमान का मूल्यांकन (भारत के नैरेटिव में सुधार) और भविष्य का निर्माण करना (वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका)। ये समकालीन ढांचे में अतीत को समझने, वर्तमान को उजागर करने और भविष्य को सामने लाना सुनिश्चित करेगा।
प्रधान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पाठ्यक्रम को नया स्वरूप देने, डिजिटल प्रणाली बनाने, संकाय को प्रशिक्षित करने और बहु-विषयक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्णायक काररवाई करके 2035 तक उच्च शिक्षा में जीईआर को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

