नई दिल्ली, 26 फरवरी। केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आगामी 10 मार्च (प्रस्तावित तिथि) को जारी होने वाले आईपीओ में 20 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति प्रदान कर दी है। इस फैसले का मकसद देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कम्पनी के विनिवेश की प्रक्रिया को सुचारु बनाना है।
सरकार LIC IPO में अपनी 5% हिस्सेदारी बेचकर जुटाएगी 63 हजार करोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में शनिवार को आहूत कैबिनेट की बैठक में एलआईसी में ऑटोमैटिक रूट से 20 फीसदी एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकार IPO के जरिए LIC में अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 63 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी। ज्ञातव्य है कि सरकार ने पिछले वर्ष जुलाई में एलआईसी का आईपीओ लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
केंद्र ने इस वजह से दी एफडीआई की मंजूरी
सर्वविदित है कि एलआईसी भारत की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कम्पनी है, लिहाजा यह स्वाभाविक है कि विदेशी कम्पनियां भी इस मेगा आईपीओ में हिस्सा लेना चाहती होंगी। हालांकि, वर्तमान एफडीआई नियमों में एलआईसी में विदेशी निवेश को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इसकी वजह यह है कि एलआईसी का परिचालन LIC Act, 1956 के जरिए होता है।
हालांकि सरकारी बैंकों में एफडीआई की सीमा 20 फीसदी है, इसलिए एलआईसी के लिए भी 20 फीसदी की ही लिमिट रखी गई है। एफडीआई की इजाजत से एलआईसी के आईपीओ में विदेशी निवेशक अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इंश्योरेंस सेक्टर की अन्य कम्पनियों की तरह एलआईसी में भी ऑटोमैटिक रूट से एफडीआई की अनुमति दी गई है। एफडीआई बढ़ने से डोमेस्टिक कैपिटल, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, मजबूत आर्थिक वृद्धि के लिए स्किल डेवलपमेंट और अन्य सेक्टर्स में डेवलपमेंट में मदद मिलेगी।
एलआईसी ने गत 13 फरवरी को जमा किया था डीआरएचपी
उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस आईपीओ के लिए 13 फरवरी, 2022 को ड्राफ्ट हेयरिंग प्रॉस्पेक्ट्स (डीआरएचपी) जमा किया था। बताया जा रहा है कि कम्पनी के कर्मचारियों और बीमा पॉलिसीधारकों को इश्यू प्राइस पर डिस्काउंट मिलेगा।