भोपाल, 8 मई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कोविड-19 महामारी के बीच उपजी अव्यवस्था के लिए अपनी ही सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा है कि इसके लिए काफी हद तक बढ़ता निजीकरण जिम्मेदार है।
अपनी उन्मुक्त टिप्पणियों के लिए चर्चित साध्वी उमा भारती ने सीधे तौर पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए सरकारी लचर व्यवस्था को दोषपूर्ण करार दिया। उन्होंने एक के बाद एक किए गए कुछ ट्वीट के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा के बढ़ते निजीकरण पर प्रहार किया और कहा कि इसी कारण गरीब ज्यादा परेशान हो गया है।
उमा ने कोरोना से देश में उपजी भयावह स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब गरीब के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। वर्तमान में जो हालात बने हैं, उसमें लोगों को अपने घर, अपने जेवर और जमीन बेचकर प्रियजनों की जान बचाने के लिए निजी अस्पतालों का बिल भरना पड़ रहा है।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘अब तो भारत के बहुत सारे राज्यों में सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूलों के लिए आया हुआ पैसा सिर्फ भवनों को बनाने ने खर्च होता है। शिक्षा और स्वास्थ्य की क्वालिटी सेवा का अस्तित्व ही गिर गया, जिसमें मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी हैं।‘
भाजपा नेता ने कहा कि मुश्किल से पेट भरने वालों के सामने अब प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। गरीब सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए हैं। उन्होंने ट्वीट के जरिए उम्मीद जताई, ‘शायद इस कोरोना के गहराते संकट काल में ही हम अपनी भूल सुधारने के लिए विवश हो जाएं एवं स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं को गरीबोन्मुखी कर सकें।’
उमा भारती ने एक अन्य ट्वीट में यह भी कहा, ’जब मैं नरेंद्र मोदी जी के साथ पांच साल मंत्री रही तो उसमें मैंने हमेशा प्रधानमंत्री जी से यही अनुरोध किया कि इससे जो भी मुनाफा आवे, वह शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं पर खर्च कर दीजिए।’