वॉशिंगटन, 22 दिसम्बर। पड़ोसी रूस के खिलाफ पिछले 10 माह से जारी युद्ध के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की अपने पहले विदेशी दौरे पर अमेरिका पहुंचे। इस दौरे में जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की और अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया।
‘यूक्रेन ने आक्रमण का पहला चरण जीत लिया, रूस ने हम पर नियंत्रण खो दिया है‘
अमेरिकी संसद के सदस्यों को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा, ‘तमाम बाधाओं, कयामत और निराशा के बावजूद यूक्रेन ने हार नहीं मानी है। यूक्रेन जिंदा है और बेहद सक्रिय है।’ अमेरिकी संसद में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी कांग्रेस में आपसे और सभी अमेरिकियों से बात करना एक बड़ा सम्मान है। सभी बाधाओं और कयामत और निराशा के खिलाफ, यूक्रेन ने हार नहीं मानी। यूक्रेन जिंदा है और सक्रिय है। हमें कोई डर नहीं है। यूक्रेन ने आक्रमण के पहले चरण को जीत लिया है। रूसी अत्याचार ने हम पर नियंत्रण खो दिया है।’
जो बाइडेन से मिले जेलेंस्की
इससे पहले जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी यूक्रेन को युद्ध के मैदान में सफल होने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, ताकि जब राष्ट्रपति जेलेंस्की रूसियों से बात करने के लिए तैयार हों, तो वह भी सफल हो सकेंगे क्योंकि वे युद्ध के मैदान में जीत चुके होंगे।’
बाइडेन ने युद्ध में जेलेंस्की की सफलता की कामना की
बाइडेन ने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि यह दो दिन पहले की बात है, पुतिन कह रहे थे कि जितना उन्होंने सोचा था, यह उससे कहीं अधिक कठिन है। उन्होंने सोचा कि वह नाटो, पश्चिम को तोड़ सकते हैं, गठबंधन को तोड़ सकते है, उन्होंने सोचा कि रूसी बोलने वाले यूक्रेनी लोगों द्वारा उनका स्वागत किया जा सकता है – वह गलत, गलत और गलत थे।’
अमेरिका की ओर से 1.85 अरब डॉलर की सहायता पर जेलेंस्की ने कहा, ‘यह यूक्रेन के लिए सुरक्षित हवाई क्षेत्र बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह एकमात्र तरीका होगा, जिससे हम आतंकवादी देश को हमारे ऊर्जा क्षेत्र, हमारे लोगों और हमारे बुनियादी ढांचे पर हमला करने से रोक पाएंगे।’
दुनिया नहीं कर सकती इस युद्ध को नजरअंदाज
अमेरिकी संसद में जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि दुनिया आज के दौर में इतनी एक-दूसरे
जेलेंस्की ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका से चीन तक, यूरोप से लैटिन अमेरिका तक और हर देश से ऑस्ट्रेलिया तक, दुनिया इतनी परस्पर जुड़ी हुई है और एक दूसरे पर निर्भर है कि किसी को अलग रहने की इजाजत नहीं है और साथ ही न ही इस तरह की लड़ाई जारी होने पर कोई सुरक्षित महसूस कर सकता है।’