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एक पखवाड़े में दो ग्रहण से बन रहा महाभारतकालीन संयोग, विद्वानों का मत – यह विश्व के लिए शुभ नहीं

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वाराणसी, 20 अक्टूबर। इस बार दीपावली के अगले दिन और देवदीपावली यानी कार्तिक पूर्णिमा पर ग्रहण लग रहा है। दीपावली के अगले दिन जहां सूर्य ग्रहण लगेगा वहीं कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है। विद्वानों का मानना है कि एक पखवाड़े में दो ग्रहण पड़ने से महाभारतकालीन संयोग बन रहा है यह दुनिया के लिए कदापि शुभ नहीं है।

एक पखवाड़े के भीतर दो ग्रहण को लेकर खगोलीय घटना के प्रभावों पर विमर्श के लिए वाराणसी में वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसाइटी की ओर से विद्वतजनों ने मंथन किया। परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे पं. शिवपूजन चतुर्वेदी ने कहा कि यह विश्व के लिए शुभ नहीं है। महाभारत काल में भी 15 दिनों में दो सूर्यग्रहण लगा था। उस समय महायुद्ध हुआ, जिसमें लाखों लोग हताहत हुए।

पं. शिवपूजन चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में भी विश्व में सर्वत्र तनाव है। दुनिया विश्वयुद्ध की कगार पर खड़ी है। मानवता के समक्ष घोर संकट है। विश्व में लोग अभाव, भुखमरी और गहन शारीरिक-मानसिक तनाव से त्रस्त हैं। कोई समाधान नहीं समझ आ रहा। ऐसी स्थिति में मानवीय ज्ञान के अन्यतम श्रोत वेदों की शरण जाने के सिवाय कोई मार्ग नहीं है। उन्होंने कहा कि वेदों में महाविनाश और अनिष्ट टालने के लिए अचूक मंत्र और यज्ञों के विधान हैं, जिन्हें अपनाकर विश्व को बचाया जा सकता है।

घृणा और युद्ध का मार्ग छोड़कर वेदों की शरण में आने का आह्वान

परिचर्चा के विशिष्ट अतिथि बीएचयू के संस्कृत विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चंद्रमा पाण्डेय ने महाशक्तियों का आह्वान किया कि घृणा और युद्ध का मार्ग छोड़कर वेदों की शरण आएं। संकाय के प्रो. रामजीवन मिश्र ने कहा कि वैदिक धर्म का पालन करते हुए यज्ञों के माध्यम से प्रकृति में उत्पन्न विक्षोभ को शांत करने का प्रयत्न काशी के विद्वानों को करना चाहिए।

सूर्यग्रहण का राशियों पर प्रभाव

इस वर्ष तुला राशि पर सूर्यग्रहण है। विभिन्न राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव इस प्रकार होंगे –

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