नई दिल्ली, 5 जून। सोशल मीडिया के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म ट्विटर ने शनिवार की सुबह भारत के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के आधिकारिक एकाउंट से ब्लू टिक बैज अचानक हटा दिया। लेकिन तत्काल हो-हल्ला शुरू होने के कुछ देर बाद ही कम्पनी ने उसे फिर से बहाल कर दिया। कम्पनी ने इसके पीछे कारण बताया है कि उप राष्ट्रपति का निजी एकाउंट बहुत दिनों से निष्क्रिय था।
कम्पनी के अनुसार उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का निजी ट्विटर एकाउंट 23 जुलाई, 2020 से इनएक्टिव था। हालांकि ट्विटर के कुछ उपयोगकर्ताओं ने ऐसे स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं, जिन एकाउंट से ब्ल्यू टिक बैज एक वर्ष से ज्यादा समय से इनएक्टिव होने के बावजूद नहीं हटाया गया है।
- आरएसएस के कई नेताओं के एकाउंट भी अनवैरीफाइड
ट्विटर ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ बड़े नेताओं के एकाउंट को भी अनवैरीफाइड किया है। इनमें आरएसएस के सह कार्यवाहक सुरेश सोनी, सर कार्यवाह सुरेश जोशी, कृष्ण गोपाल व अरुण कुमार के नाम शामिल हैं।
- ब्ल्यू टिक पर यह है ट्विटर की नीति
ट्विटर की नीति के अनुसार कम्पनी कभी भी और किसी भी शख्स का ब्ल्यू टिक बैज हटा सकती है। इस दौरान शख्स की पोजीशन के बारे में ध्यान नहीं दिया जाता। ब्ल्यू टिक बैज से पता चलता है कि एकाउंट अधिकृत है और समाज के लिए वह महत्वपूर्ण शख्सियत का एकाउंट है।
- फिलहाल ट्विटर पर 6 प्रकार के एकाउंट मौजूद
गौरतलब है कि ट्विटर एकाउंट वैरिफाई करवाने के लिए एकाउंट एक्टिव, वास्तविक और समाज के लिए किसी महत्वपूर्ण शख्स का होना चाहिए। ट्विटर पर इस वक्त छह प्रकार के एकाउंट मौजूद हैं। इनमें सरकारी कम्पनियों, ब्रॉन्ड्स, एनजीओ, न्यूज चैनलों, पत्रकारों, मनोरंजन और खेल से जुड़े लोगों, एक्टिविस्ट, ऑर्गनाइजर्स और दूसरे महत्वपूर्ण लोगों के एकाउंट शामिल हैं।
- ब्ल्यू टिक बैज हटाए जाने के और भी कई कारण हैं
कम्पनी के अनुसार, किसी एकाउंट से ब्ल्यू टिक बैज कोई नोटिस दिए बिना किसी भी समय हटाया जा सकता है। यदि किसी एकाउंट का यूजरनेम बदला जाता है या एकाउंट निष्क्रिय हो जाता है अथवा फिर कोई शख्स अपने पद पर नहीं रहता है, जिसके लिए उसका अकाउंट वैरीफाई किया गया था, तो भी ब्ल्यू टिक बैज हटाया जा सकता है।
बार-बार ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करने वाले शख्स के एकाउंट से भी ब्ल्यू टिक बैज हटाया जा सकता है। इसमें हिंसा के लिए उकसाना, गाली देना, हिंसा को महिमामंडित करना, फेक न्यूज फैलाना और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाना आदि शामिल है।