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पारसनाथ पहाड़ी और सरना धर्म कोड को लेकर आदिवासियों ने किया रेल चक्का जाम, ट्रेन परिचालन घंटों बाधित

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पटना, 11 फरवरी। आदिवासी सेंगल समाज ने अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर बिहार के किशनगंज और झारखंड में देवघर के मथुरापुर स्टेशनों पर शनिवार को रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। पारसनाथ पहाडी आदिवासी समुदाय को देने और लंबित सरना धर्म कोड को लागू करने के लिए आदिवासी समाज द्वारा तिलका मांझी के जन्म दिवस के अवसर पर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए यह आंदोलन किया गया।

मथुरापुर स्टेशन और किशनगंज में रेल चक्का जाम कर घंटों ट्रेनों का परिचालन बाधित किया गया। सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोगों ने रेल पटरी से लेकर प्लेटफॉर्म तक पर कब्जा कर लिया। इस अभियान से जुड़े लोग सुबह से ही अपने हाथों में झंडा, बैनर लेकर प्लेटफॉर्म के अंदर प्रवेश कर गए। आरपीएफ और जीआरपी ने आंदोलनकारियों को समझा बुझा कर रेल जाम हटाया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मथुरापुर में डाउन बैद्यनाथधाम – आसनसोल मेमू ट्रेन को रोक दिया। इधर, मथुरापुर स्टेशन पर रेल चक्का जाम करने के कारण जसीडीह में नई दिल्ली – कोलकाता टाउन राजधानी एक्सप्रेस रुकी रही। वहीं किशनगंज में रेलवे ट्रैक जाम कर दिये जाने से कटिहार-सिलीगुडी रेलखंड पर घंटों ट्रेनों का आवागमन बाधित रहा।

 

आदिवासी सेंगल अभियान के कार्यकर्ता रेल चक्का जाम कर रेलवे ट्रैक पर नारेबाजी करते रहे। इस रेल चक्का जाम अभियान को लेकर कार्यकर्ताओं का कहना है कि गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित मरांग बुरू को कब्जे से मुक्ति दिलाना है। इसके साथ ही सरना धर्म कोड को 2023 में लागू करने और कुर्मी जाति को एसटी का दर्जा दिलाने की मांग प्रमुख है।

बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा राज्य के विभिन्न जगहों पर रेल चक्का रोककर विरोध प्रकट किए जाने की खबर है। वहीं, ट्रेन रोकने की सूचना मिलते ही आरपीएफ और रेल पुलिस के अधिकारी और जवान स्थल पर पहुंचे। जाम कर रहे कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर ट्रैक खुलवाया।

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