नई दिल्ली, 2 जनवरी। हिट एंड रन केस के मामलों में नए कानून के तहत सख्त सजा के प्रावधानों के खिलाफ रविवार रात से जारी ट्रक चालकों की हड़ताल से देश के अधिकतर हिस्सों में परिवहन व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। इस बीच ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने मंगलवार को सरकार से यह कानून वापस लेने का आग्रह किया।
20 करोड़ मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं, 95% सप्लाई चेन ठप
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की ओर से कहा गया, ‘किसानों के कानून जैसी देरी न करें। 20 करोड़ मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं, जितनी देरी होगी, उन्हें समझाना मुश्किल होगा। कोई डिबेट, चर्चा नहीं करना है हमको इस पर, सरकार इस कानून को वापस ले। 95% सप्लाई चेन ठप है। ड्राइवरों ने गाड़ी खड़ी कर दी है।’
यूनियन का दावा – अब तक स्ट्राइक डिक्लेयर नहीं की है
ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिकारियों ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ’60-70 फीसदी गाड़ियां ऑफ रोड खड़ी की हैं जबकि हमने अब तक कोई स्ट्राइक डिक्लेयर नहीं की है। शाम को सात बजे हमको सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया है। उम्मीद है कि कोई कोई रास्ता निकल आएगा।’
सरकार से बातचीत में कोई हल निकलने की उम्मीद
यूनियन की ओर से कहा गया, ‘हम चालकों के साथ डटकर खड़े हैं। ड्राइवरों में डर, गुस्सा, चिंता है। यदि कोई रास्ता नहीं निकला तो स्थिति गम्भीर हो सकती है। हम आग में तेल नहीं डाल रहे, उसको बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। हम बहुत संयम से काम ले रहे हैं। इस काले कानून का एक ही हल सरकार भी अपनी तरफ से सकारात्मक पहल करें शाम की मीटिंग में। एक दो दिन और देरी हुई, तो हमें अपनी ठोस नीति पर अमल करना पड़ेगा।’
कानून बनाते वक्त सरकार ने ट्रांसपोर्टरों से कोई राय नहीं ली
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘कानून बनाते वक्त सरकार ने ट्रांसपोर्टरों से कोई राय नहीं ली। हम इस चर्चा में नहीं जाना चाहते कि कानून में क्या बदलाव हो। हमारी सरकार से मांग है कि इस नए कानून को वापस लिया जाए। एक करोड़ वाहन हैं, हर दिन हर गाड़ी पर साढ़े 3 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। इसी से नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार जल्द इस मामले पर एक्शन ले।’ AIMTC ने साथ ही चालकों से संयम बनाए रखने और कानून हाथ में ना लेने की अपील की।’
इस वजह से नए कानून को वापस लेने की मांग हो रही
भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत, लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा हो सकती है या सात लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। आंदोलन कर रहे ड्राइवर इस नए कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।