मुंबई, 27 जून। बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के 12 वर्षों के निचले स्तर 2.8 प्रतिशत पर आ जाने और जीडीपी वृद्धि के मजबूत आंकड़ों से देश को आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने और वैश्विक झटकों को झेलने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है।
आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) जारी करते हुए कहा कि निजी और सरकारी खपत में नरमी और बाहरी मांग की स्थिति रहने के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में देश का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.2 प्रतिशत बढ़ा था जबकि इसके एक साल पहले वृद्धि दर सात प्रतिशत रही थी।
मार्च, 2025 तक जीएनपीए अनुपात 2.5 प्रतिशत पर आ सकता है
रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च, 2024 के अंत में 2.8 प्रतिशत पर आ गया, जबकि शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनएनपीए) अनुपात 0.6 प्रतिशत रहा। मार्च, 2025 तक सभी एससीबी का जीएनपीए अनुपात और भी घटकर 2.5 प्रतिशत पर आ सकता है।
एफएसआर के अनुसार अल्पावधि के आर्थिक परिदृश्य के लिए कई सकारात्मक बातें हैं। इनमें मजबूत घरेलू मांग की स्थिति, कम्पनियों का उच्च आशावाद, पूंजीगत व्यय पर सरकार का निरंतर ध्यान, निवेश-योग्य संसाधन बढ़ाने के लिए उच्च लाभ का उपयोग करने वाली कम्पनियां और रियल एस्टेट गतिविधियों में तेजी शामिल है।
ऋण वृद्धि की दर में बढ़ोतरी भी एक बड़ा सकारात्मक पक्ष
आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि ऋण वृद्धि की दर में बढ़ोतरी भी एक बड़ा सकारात्मक पक्ष है, जिसे बैंकों के सेहतमंद बही-खाते से समर्थन हासिल है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली मजबूत एवं जुझारू बनी हुई है, जो वृहद-आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से समर्थित है। सुधरे हुए बही-खाते के साथ बैंक एवं वित्तीय संस्थान निरंतर ऋण विस्तार के जरिये आर्थिक गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं।’
एफएसआर के अनुसार मार्च के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का पूंजी और जोखिम-भारित संपत्ति का अनुपात (सीआरएआर) और समान इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) अनुपात क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 13.9 प्रतिशत रहा। ऋण जोखिम के लिए व्यापक दबाव संबंधी परीक्षणों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरतों का अनुपालन करने में सक्षम होंगे।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि मार्च, 2024 के अंत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एनबीएफसी) की सेहत स्वस्थ बनी हुई थी। उनका सीआरएआर 26.6 प्रतिशत, जीएनपीए अनुपात 4.0 प्रतिशत और परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) 3.3 प्रतिशत पर था। ये परिदृश्य काल्पनिक झटकों के तहत किए गए कठोर रुढ़िवादी आकलन हैं और परिणामों की व्याख्या पूर्वानुमान के तौर पर नहीं की जानी चाहिए।
वैश्विक वित्तीय प्रणाली जुझारू बनी हुई है और वित्तीय स्थितियां स्थिर
वैश्विक अर्थव्यवस्था के संदर्भ में रिपोर्ट कहती है कि यह लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, बढ़े हुए सार्वजनिक ऋण और मुद्रास्फीति में गिरावट की धीमी रफ्तार से बढ़े हुए जोखिमों का सामना कर रही है। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद वैश्विक वित्तीय प्रणाली जुझारू बनी हुई है और वित्तीय स्थितियां स्थिर हैं।