टोक्यो, 2 अगस्त। भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के 11वें दिन सोमवार को यहां ओआई स्टेडियम में चमत्कारी प्रदर्शन किया और विश्व नंबर तीन ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 की स्तब्धकारी जीत से पहली बार सेमीफाइनल में जगह सुरक्षित कर ली। कुछ घंटे पहले ही आठ बार के पूर्व चैंपियन भारतीय पुरुषों ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए ग्रेट ब्रिटेन पर 3-1 की जीत से 48 वर्षों बाद सेमीफाइनल में प्रवेश किया था और अब उनसे प्रेरित रानी रामपाल की अगुआई वाली टीम ने नार्थ पिच पर कारनामा करते हुए ओलंपिक खेलों के इतिहास में नए अध्याय का सृजन कर दिया।
छह टीमों के लीग चरण में औसत प्रदर्शन (दो जीत व तीन पराजय) के कारण तीन दिन पूर्व जारी एफआईएच विश्व रैंकिंग में 10वें से खिसककर 12वीं पोजीशन पर जा गिरी भारतीय टीम की इस जीत की असल नायिका गोलकीपर सविता पूनिया रहीं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलियाई हमलों की बौछार सहते हुए एक-दो नहीं बल्कि नौ बेहतरीन बचाव किए। हालांकि भारत के लिए जीत का आधार जो इकलौता गोल बना, वह गुरजीत कौर के हिस्से आया। गुरजीत ने दूसरे क्वार्टर के दौरान 22वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर पर यह गोल किया। इसके बाद बचे 38 मिनट तक भारतीय टीम अपने दुर्ग का बचाव करने के साथ ही इतिहास रचने में सफल हो गई।
सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से होगी मुलाकात
भारतीय महिलाओं का अब चार अगस्त को सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से सामना होगा, जो बीते हफ्ते विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान से खिसककर चौथी पोजीशन पर चली गई है। अर्जेंटीनी महिलाओं ने भी दमदार प्रदर्शन करते हुए विश्व नंबर दो और रियो खेलों के कांस्य पदक विजेता जर्मनी को 3-0 से शिकस्त दी। दूसरे सेमीफाइनल की टीमों का आज शाम फैसला होगा, जब बचे दो क्वार्टर फाइनल मैचों में विश्व नंबर एक व विश्व विजेता नीदरलैंड्स का न्यूजीलैंड से सामना होगा जबकि रियो ओलंपिक के चैंपियन व विश्व नंबर पांच ग्रेट ब्रिटेन की टक्कर स्पेन से होगी।
पहले क्वार्टर में बराबरी की टक्कर देखने को मिली
मैच की बात करें तो पहले क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ियों ने कुछ बेहतरीन मौके बनाए, लेकिन वे गोल नहीं कर सकीं। नौंवे मिनट में वंदना कटारिया का शॉट पोस्ट पर लगते हुए बाहर निकल गया। ऑस्ट्रेलिया के पास भी गोल करने के मौके थे, लेकिन उसकी खिलाड़ी भारतीय डिफेंस को भेद नहीं सकीं।
ड्रैग फ्लिकर गुरजीत ने भुनाया इकलौता शॉर्ट कॉर्नर
दूसरे क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा शुरुआती पांच मिनट तक काफी भारी रहा। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया को तीन पेनाल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन भारतीय गोलकीपर और डिफेंडरों ने इन हमलों का बखूबी बचाव किया। मैच के 22वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर मिला, जिसे ड्रैग फ्लिकर गुरजीत ने गोल में तब्दील कर भारत को 1-0 की बढ़त दिला दी।
ऑस्ट्रेलियाई टीम को मिले सभी नौ शॉर्ट कॉर्नर बेकार
वापसी के लिए व्यग्र ऑस्ट्रेलियाई टीम को तीसरे और चौथे क्वार्टर में कुल छह पेनाल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन भारतीय रक्षापंक्ति ने इन मौकों को भी नाकाम कर दिया। हालांकि तीसरे क्वार्टर के 43वें एवं 44वें मिनट में भारत को भी स्कोर करने करने के मौके मिले, लेकिन नवनीत कौर और रानी रामपाल इन्हें भुना नहीं सकीं। दिलचस्प तथ्य यह रहा कि ऑस्ट्रेलिया को मिले सभी नौ पेनाल्टी कॉर्नर जहां बेकार गए वहीं भारत को मिला सिर्फ एक शॉर्ट कॉर्नर पर निर्णायक गोल हो गया।
मॉस्को ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही थीं भारतीय महिलाएं
भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 के मॉस्को खेलों में रहा था, जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। अब टोक्यो में उसका चौथे स्थान पर रहना सुनिश्चित हो ही चुका है। लेकिन यदि सेमीफाइनल में रानी की टीम करिश्मा कर दे तो उसका पहली बार ओलंपिक में पदक जीतना भी पक्का हो जाएगा।