Site icon hindi.revoi.in

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली को लेकर टीएमसी ने साधा निशाना – भाजपा में शामिल होने से इनकार की मिली सजा?

Social Share
FacebookXLinkedinInstagramTelegramWhatsapp

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली के नाम पर सियासत शुरू हो गई है। गांगुली के अध्यक्ष पद छोड़ने की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने कई बार गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की थी। लेकिन सौरभ को उनके इनकार की सजा मिली और वह राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हो गए।

अमित शाह का नाम लेकर शांतनु सेन ने घेरा

टीएमसी नेता डॉक्टर शांतनु सेन ने कहा, ‘अमित शाह कुछ महीनों पहले सौरभ गांगुली के आवास पर गए थे। जानकारी है कि गांगुली से बार-बार भाजपा में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा रहा था। शायद उन्होंने भाजपा में शामिल होने में सहमति नहीं जताई और वह बंगाल से हैं, इसलिए वह राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हो गए।’ खास बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कुछ माह पहले पूर्व क्रिकेटर के घर रात्रि भोज पर पहुंचे थे।

टीएमसी पहले ही ऐसे आरोप लगा चुकी है

इससे पहले भी पार्टी ने भाजपा पर पूर्व क्रिकेटर का ‘अपमान करने की कोशिश’ के आरोप लगाए थे। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा था, ‘हम इस मामले में सीधे तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं। चूंकि भाजपा ने चुनाव के बाद इस तरह का प्रोपेगैंडा चला रखा है, इसलिए इस तरह की अटकलों पर प्रतिक्रिया देना भाजपा की जिम्मेदारी है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा सौरभ का अपमान करने की कोशिश कर रही है।’

रोजर बिन्नी बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर लेंगे गांगुली की जगह

गौरतलब है कि 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रह चुके रोजर बिन्नी ने मंगलवार को बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। बताया जा रहा है कि 18 अक्टूबर को होने वाली बोर्ड की सालाना बैठक में बिन्नी के निर्विरोध चुने जाने की घोषणा की जाएगी।

सौरभ का बाहर होते ही तेज हो गई सियासत

जैसे ही बीसीसीआई अध्यक्ष पद की दौड़ से गांगुली का नाम बाहर होने की खबरें सामने आईं तो टीएमसी ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया था। सेन ने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक प्रतिशोध का एक और उदाहरण। अमित शाह के बेटे सचिव के तौर पर बने रहे, लेकिन सौरभ गांगुली नहीं। क्या इसकी वजह उनका ममता बनर्जी के राज्य से होना है या उन्होंने भाजपा ज्वाइन नहीं की इसलिए? दादा हम आपके साथ हैं।’

भाजपा का आरोपों से इनकार

हालांकि भाजपा ने सभी आरोपों से यह कहते हुए इनकार किया है कि गांगुली दिग्गज क्रिकेटर हैं और बीसीसीआई के फैसले का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘यह क्रिकेट की दुनिया से जुड़ा मामला है और क्रिकेट से जुड़े लोग ही इसपर टिप्पणी कर सकते हैं। इसका राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है। टीएमसी को भाजपा पर हमला करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिला और इसलिए वह इसका राजनीतिकरण कर रही है।’

वहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है, ‘हमें नहीं पता कि भाजपा ने कब गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश की। वह क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी हैं। कुछ लोग बीसीसीआई में हुए बदलाव पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे, तो क्या इसमें उनकी कोई भूमिका थी? टीएमसी को हर मुद्दे का राजनीतिकरण बंद करना चाहिए।’

एक वर्ष पहले से जारी हैं अटकलें

वस्तुतः वर्ष 2021 से ही अटकलें जारी हैं कि भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले गांगुली को पार्टी में लाने की कोशिश कर रही थी। जनवरी, 2021 में जब गांगुली को दिल का दौरा पड़ा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेल्थ अपडेट लिया था और उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना की थी। इधर, गत छह मई को अमित शाह और प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता गांगुली के आवास पर पहुंचे थे।

पिछले माह सीएम ममता के साथ नजर आए थे गांगुली

वहीं राजनीति से दूरी बना रहे पूर्व क्रिकेटर सौरभ गत एक सितम्बर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करते नजर आए थे। उस दौरान वह एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। खास बात है कि शाह के बेटे जय की बोर्ड सचिव के तौर पर वापसी के कारण सियासी बयानबाजी और तेज हो गई है।

Exit mobile version