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TMC सांसद सागरिका घोष ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बोस पर एक महिला से ‘छेड़छाड़’ का लगाया आरोप

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कोलकाता, 2 मई। सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद सागरिका घोष सहित अन्य पार्टी नेताओं ने गुरुवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर राजभवन में कार्यरत एक महिला कर्मचारी ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार रात कोलकाता स्थित राजभवन में ठहरने से पहले सामने आया है।

सागरिका घोष ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह आज राजभवन में राज्यपाल से मिलने गई थी तो उसके साथ छेड़छाड़ की गई। सागरिका ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, ‘बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस पर एक महिला से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। कितना भयावह और भयानक। नरेंद्र मोदी के कोलकाता दौरे से पहले, जो राजभवन में रात्रि विश्राम करने वाले हैं, एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह आज राजभवन में राज्यपाल से मिलने गई थी तो उसके साथ छेड़छाड़ की गई।’

तृणमूल सांसद ने यह भी दावा किया कि शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज कराने के लिए हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उन्होंने कहा, ‘महिला ने राज्यपाल पर उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। यह चौंकाने वाला और अपमानजनक है।’

राज्यपाल बोले – मनगढ़ंत कहानियों से डरने वाला नहीं, ‘सत्य की जीत’ होगी

इस बीच राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने खुद पर लग रहे आरोपों को देर रात सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह ‘मनगढ़ंत कहानियों’ से डरने वाले नहीं हैं और ‘सत्य की जीत’ होगी। राज्यपाल ने राजभवन के स्टाफ को जारी एक बयान में कहा, ‘सत्य की जीत होगी। मैं बनाई गई कहानियों के सामने झुकने से इनकार करता हूं। यदि कोई मुझे बदनाम करके कुछ चुनावी लाभ चाहता है तो भगवान उसका भला करे, लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई को नहीं रोक सकते।’ राजभवन के कर्मचारियों ने भी दो असंतुष्ट कर्मचारियों द्वारा राजनीतिक दलों के एजेंट के रूप में प्रसारित कुछ अपमानजनक कहानियों के बाद राज्यपाल के साथ एकजुटता प्रदर्शित की है।

वहीं भाजपा सूत्रों के हवाले से बताया गया कि राज्यपाल बोस ने प्रधानमंत्री की यात्रा के कारण कोलकाता लौटने के लिए अपने गृह राज्य केरल की अपनी निजी यात्रा में कटौती की। पीएम मोदी शुक्रवार को कृष्णानगर, बर्धमान पूर्व और बोलपुर लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में चुनावी रैलियों को संबोधित करने वाले हैं।

गौरतलब है कि अप्रैल के अंत में, राजभवन ने भारत के चुनाव आयोग का रुख किया और पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के उन अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी काररवाई करने का आग्रह किया, जिन्होंने राजनीतिक दलों के लिए गैंगस्टरों और गुंडों के नाम लीक किए होंगे।

आम चुनाव के मद्देनजर, बंगाल के राज्यपाल के कार्यालय ने अपने स्वयं के तंत्र का उपयोग करते हुए, राज्यभर में संदिग्ध अपराधियों की एक सूची तैयार की थी, जिनका उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा अन्य कानून बनाने के अलावा मतदान की तारीखों पर या उससे पहले मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए किया जा सकता है।

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