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कल्याण बनर्जी बोले – प्रधानमंत्री के ‘अहंकार और नफरत’ ने घटाई उनकी लोकप्रियता

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नई दिल्ली, 2 जुलाई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने देश में ‘अस्थिर सरकार और मजबूत विपक्ष’ होने का दावा करते हुए मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अहंकार, नफरत और बदले की भावना’ ने उनकी लोकप्रियता को कम कर दिया है।

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए बनर्जी ने मंगलवार को कहा, ‘‘हमने पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री से विपक्ष के लिए कभी कोई नम्रतापूर्ण या मीठे शब्द नहीं सुने। विपक्ष के प्रति उनका रवैया इतना द्वेषपूर्ण क्यों है?’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मुंह से कभी भी गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तारीफ नहीं सुनने को मिली। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुरोध है कि प्रधानमंत्री विपक्ष की तरफ थोड़े विनम्र हो जाएं। समय आ गया है कि सत्तापक्ष आत्मनिरीक्षण करे। इस अहंकार, इस नफरत, इस बदले की भावना ने मोदी की लोकप्रियता को कम कर दिया है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में जनता से किए गए अपने वादे पूरे नहीं किए हैं।’’

तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने दावा किया कि इस चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जहां करीब 48 प्रतिशत वोट मिले, वहीं पूरे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को 51 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश में अस्थिर सरकार है लेकिन मजबूत विपक्ष है। सत्तापक्ष को हर दिन, हर पल याद रखना होगा कि हम अस्थिर हैं और ‘इंडिया’ गठबंधन ज्यादा मजबूत है।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘हम अब संसद में भी जोरदार तरीके से बोलेंगे और संसद के बाहर भी राजनीतिक लड़ाई चलेगी। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने दीजिए, डेढ़ वर्ष बाद यह सरकार नहीं रहेगी।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ‘आपातकाल’ की अवधि को छोड़ दें तो मौजूदा प्रधानमंत्री के अलावा किसी अन्य प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयेाग इस तरह नहीं किया।

टीएमसी सांसद ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री पहले संसद में बड़े जोरदार तरीके से आते थे और आत्मविश्वास से भाषण देते थे।’’ उन्होंने कहा कि लेकिन आज वह गठबंधन के सहयोगियों पर निर्भर हैं और उनके भाषण में उतना आत्मविश्वास नहीं झलकता।

बनर्जी ने दावा किया कि एक जुलाई से देश में लागू तीन नए आपराधिक कानूनों में 90 प्रतिशत से अधिक प्रावधानों को पुराने कानूनों से जैसा का तैसा ले लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘तीन नए कानून आए। इन्हें पारित करते समय हमारे कई सासंद सदन से निलंबित थे और चर्चा में शामिल नहीं हो पाए। औपनिवेशिक कानून खत्म करना अच्छी बात है। लेकिन इनमें 90 प्रतिशत प्रावधान पूरे के पूरे क्यों शामिल कर लिए गए ? केवल उनके शीर्षक हिन्दी और संस्कृत में कर दिए गए।’’