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लोकसभा चुनाव में इस बार मार्क-3 EVM का होगा इस्तेमाल, छेड़छाड़ करने पर लॉक हो जाएगी ईवीएम

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हैदराबाद, 6 अप्रैल। लोकसभा चुनाव में इस बार अत्याधुनिक तकनीक के जरिए विकसित तीसरी पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल होगा। इस ईवीएम की टेम्परिंग या हैकिंग नहीं की जा सकती।

दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने वर्ष 2018 में तीसरी पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पेश की थी। इसे मार्क-3 EVM नाम दिया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार तीसरी पीढ़ी की ईवीएम में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। मार्क-थ्री ईवीएम में एक ऐसी चिप लगी है, जिसकी प्रोग्रामिंग दोबारा संभव नहीं है।

ईसी के अनुसार यदि कोई ईवीएम से छेड़छाड़ की कोशिश करेगा तो यह खुद ब खुद लॉक हो जाएगी। साथ ही चिप की कोडिंग को न तो पढ़ा जा सकता है और न ही दोबारा लिखा जा सकता है। मार्क-थ्री ईवीएम को इंटरनेट या किस अन्य नेटवर्क से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। यदि कोई ईवीएम को पेच से खोलने की कोशिश करेगा तो भी यह लॉक हो जाएगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. द्वारा बनाई गई इस उन्नत ईवीएम में डायनेमिक कोडिंग और रियल टाइम क्लॉक जैसे खास फीचर हैं। इसलिए इसे हैक नहीं किया जा सकता। इसके कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट खास सॉफ्टवेयर से निर्दिष्ट होते हैं। इसमें कोई दूसरी कंट्रोल यूनिट लगाने पर डिजिटल सिग्नेचर मैच नहीं होंगे और मशीन निष्क्रिय हो जाएगी।

मार्क-थ्री ईवीएम की विशेषताएं

चुनाव आयोग के अनुसार मार्क-थ्री ईवीएम में 24 बैलेट यूनिट और 384 उम्मीदवारों की जानकारी होगी। पुरानी ईवीएम में सिर्फ चार बैलेट यूनिट और 64 उम्मीदवारों की जानकारी आती थी। किसी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने पर कोई समस्या नहीं होगी। पहले यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा हो जाती थी तो उस सीट पर बैलेट पेपर से चुनाव कराना पड़ता था।

दिलचस्प तो यह है कि मामूली खराबी आने पर यह ईवीएम खुद उसे ठीक कर लेती है। कोई खराबी आने पर सॉफ्टवेयर खुद उसे डिस्प्ले स्क्रीन पर दिखाता है। छेड़छाड़ करने पर टेंपर डिटेक्ट फीचर मार्क-थ्री ईवीएम को लॉक कर देता है।

भारत में ईवीएम का इतिहास

वर्ष 1979 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने मिलकर ईवीएम विकसित की थी। 1989 से 2006 के बीच पहली पीढ़ी की ईवीएम मार्क-1 विकसित की गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में आखिरी बार इसका इस्तेमाल हुआ था। 2006 से 2012 के बीच दूसरी पीढ़ी की ईवीएम मार्क-2 को तैयार किया गया था। ईवीएम के दूसरे संस्करण में रियल टाइम क्लॉक और डायनमिक कोडिंग जैसे फीचर जोड़े गए थे। इसके बाद 2018 में ईवीएम मार्क-3 को लॉन्च किया गया। आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ही इसके इस्तेमाल की योजना बनाई थी।

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