नई दिल्ली, 5 अप्रैल। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए शुक्रवार को ‘न्याय पत्र’ के नाम से जारी अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन योजना (OPS) का कोई उल्लेख नहीं किया है। पार्टी का यह निर्णय सबके लिए हैरान वाला था क्योंकि कांग्रेस पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में इसकी मुखर वकालत करती आई है। पिछले महीने ही कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में, जिसमें घोषणापत्र के मसौदे पर चर्चा की गई थी, प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई नेताओं ने ओपीएस को शामिल करने की मांग रखी थी।
कांग्रेस ने सबसे पहले 2022 के हिमाचल चुनाव में किया था OPS का वादा
कांग्रेस ने सबसे पहले 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओपीएस का वादा किया था और इसे उसकी जीत में योगदान देने वाले कारकों में से एक के रूप में उद्धृत किया था। कांग्रेस ने यह वादा 2023 के कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी किया था जबकि छत्तीसगढ़ व राजस्थान में उसकी सरकारों ने OPS लागू भी किया था।
OPS लागू करने के बाद छत्तीसगढ़ व राजस्थान में पार्टी की हार हुई
हालांकि, पार्टी छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार गई, तो क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इस वजह से ओपीएस को अपने घोषणा-पत्र में शामिल नहीं किया? अब, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि एनपीएस का विरोध करने से पार्टी की अपनी विरासत पर हमला होगा और इससे ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। पार्टी के भीतर ऐसे वर्ग भी हैं, जो ओपीएस के कार्यान्वयन के पक्ष में नहीं हैं।
पी. चिदम्बरम ने इस सवाल का दिया जवाब
डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम ने इस पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने एनपीएस और ओपीएस की मांग की समीक्षा करने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की है, और एक ऐसा तरीका खोजा है, जिससे ओपीएस के उद्देश्यों को एक वित्त पोषित पेंशन योजना द्वारा वित्त पोषित किया जा सके।
NPS और OPS के लिए कांग्रेस ने खोजा है नया तरीका
चिदंबरम ने कहा, ‘इसका मतलब है कि सरकार इस दृष्टिकोण पर आ गई है कि जहां ओपीएस ने पेंशनभोगियों को लाभ पहुंचाया, वहीं एनपीएस ने इसे टिकाऊ बनाया।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं मिल जाती और उसकी समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक ओपीएस-एनपीएस विवाद पर कोई रुख अपनाना जल्दबाजी होगी।’