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राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में सीएम को लेकर नहीं बनी सहमति, भाजपा शुक्रवार को चुनेगी पर्यवेक्षक

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नई दिल्ली, 7 दिसम्बर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बीते विधानसभा चुनावों के दौरान जिन तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में शानदार जीत हासिल की है, वहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अब तक सहमति नहीं बन सकी और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस पर लगातार मंथन में जुटा है। पार्टी अंतिम रूप से नाम चुनने के लिए शुक्रवार को तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगी। सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है।

माना जा रहा है कि तीन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए संभावितों की सूची में कई नाम शामिल हैं। भाजपा बिना किसी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम लिए इन सभी राज्यों में चुनाव में उतरी थी।

पर्यवेक्षकों द्वारा तीन राज्यों में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठकों की निगरानी करने की संभावना है, जहां वे अपने नेताओं का चयन करेंगे। भाजपा के भीतर कई लोग तीन राज्यों में मिले भारी जनादेश को अपनी नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के लिए व्यापक लोकप्रिय समर्थन के एक मजबूत बयान के रूप में देखते हैं।

दो-तिहाई बहुमत के साथ पार्टी की जीत के बाद, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान एक मजबूत दावेदार बने हुए हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को भी संभावितों में देखा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, राज्य भाजपा अध्यक्ष अरुण कुमार साव, विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी को राजनीतिक विश्लेषक दावेदारों में से एक के रूप में देख रहे हैं। श्री सिंह को छोड़कर सभी तीन नेता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं। हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने अतीत में अपने मुख्यमंत्री पद के चयन से अक्सर पर्यवेक्षकों को आश्चर्यचकित किया है।

वहीं राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को शीर्ष पद के दावेदारों में से एक के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार को लगभग 25 भाजपा विधायकों ने उनसे मुलाकात की, जिसे समर्थन और शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया। हालांकि विधायकों ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि यदि पार्टी नेतृत्व उन्हें शीर्ष पद के लिए चुनता है तो वे राजे का समर्थन करेंगे।