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शपथ के अतिरिक्त शब्दों का उपयोग सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं, भविष्य में पुनरावृत्ति न हो, बोले ओम बिरला

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नई दिल्ली, 1 जुलाई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शपथ ग्रहण के दौरान कई सदस्यों द्वारा अलग-अलग नारे लगाए जाने की पृष्ठभूमि में सोमवार को सदन में कहा कि शपथ एवं प्रतिज्ञान की शुरुआत में या आखिर में अतिरिक्त शब्दों अथवा वाक्यों का इस्तेमाल संसद की गरिमा के अनुरूप नहीं है तथा यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो।

उन्होंने सदन की बैठक शुरू होने पर यह भी कहा कि इससे संबंधित विषयों पर गहन विचार-विमर्श करते हुए एक संसदीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें प्रमुख दलों के सदस्य शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में शपथ लेने के दौरान विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने ‘जय संविधान’ का नारा लगाया तो सत्तापक्ष की तरफ से भी कई सदस्यों ने ‘जय श्रीराम’ तथा कुछ अन्य नारे लगाए थे।

लोकसभा अध्यक्ष ने सोमवार को कहा, ‘‘इस पवित्र सदन के सदस्य के रूप में शपथ लेने तथा प्रतिज्ञान करने के उद्देश्य से हमारे संविधान में अनुच्छेद 99 और तीसरी अनुसूची में प्रारूप निर्दिष्ट हैं। इसके अनुसार, शपथ लेना सदस्यों का संवैधानिक दायित्व है। हमारे संविधान में शपथ और प्रतिज्ञान की शुचिता, मर्यादा और गरिमा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि सदस्य शपथ के आरंभ या अंत में अतिरिक्त शब्दों या वाक्यों की अभिव्यक्ति करते हैं तो इससे सदन की गरिमा में कमी आती है। सदस्य के रूप में हमारा दायित्व है कि हमारे किसी भी आचरण से इस गरिमा में कमी नहीं आए।’’ बिरला ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वे तीसरी अनुसूची में निर्दिष्ट प्रारूपों के अनुसार ही शपथ लें तथा इस बार जो हुआ उसकी पुनरावृत्ति भविष्य में नहीं हो। इस पर विपक्ष के कुछ सदस्यों ने ‘जय संविधान’ का नारा लगाया।

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