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अमेरिका, इजरायल, भारत, यूएई के गठजोड़ में सैन्य सहयोग शामिल नहीं : गिलोन

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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। इजरायल ने आज स्पष्ट किया कि अमेरिका, इजरायल, भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का नया चतुष्कोणीय गठजोड़ केवल आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है और इसमें सैन्य सहयोग किसी रूप में शामिल नहीं है। भारत में इजरायल के नये राजदूत नाओर गिलोन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की इजरायल यात्रा के दौरान इस नये गठजोड़ की पहली बैठक आयोजित की गयी जिसमें भारत एवं इजरायल के विदेश मंत्री प्रत्यक्ष रूप से और अमेरिका एवं यूएई के विदेश मंत्री वर्चुअल रूप से उपस्थित हुए।

इस चतुष्कोणीय गठजोड़ के स्वरूप और इन देशों के बीच सैन्य सहयोग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस गठजोड़ में सैन्य सहयोग का कोई तत्व नहीं है। यह केवल आर्थिक सहयोग एवं अवसंरचना विकास पर केन्द्रित है। हर देश की सैन्य मामलों में अपनी अपनी संवेदनशीलता है और इसे देखते हुए इसमें सैन्य तत्व को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा विचार है कि इजरायल की तकनीक, यूएई के निवेश, भारत की विनिर्माण क्षमता तथा अमेरिका की तकनीकी आर्थिक प्रभाव को देखते हुए यह नया चतुष्कोणीय गठजोड़ एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक बन सकता है।

इस गठजोड़ की उच्चतम स्तर पर बैठक आयोजित किये जाने की संभावना के बारे में पूछने पर गिलोन ने कहा कि इस समय वह नहीं कह सकते हैं कि उच्चतम स्तर की बैठक हो सकती है। अभी इसके बारे में बातचीत हो रही है। मंत्री इजरायल या यूएई में कंपनियों से मिलना चाहते हैं। अगली बैठक कंपनियों के साथ होगी या नेताओं की शिखर बैठक, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि नेताओं की बैठक को लेकर भी हम आशान्वित हैं।

अपनी आरंभिक टिप्पणी में उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा को बेहद सफल तथा भारत इजरायल की सामरिक साझीदारी को नयी ऊंचाई देने वाला करार दिया। बाद में एक सवाल के जवाब में गिलोन ने कहा कि बैठक में भारत एवं इजरायली प्रतिनिधिमंडल के बीच ईरान के बारे में भी खुलकर बात हुई। उन्होंने कहा कि यह सही है कि प्रत्येक देश के अपने हित होते हैं। इजरायल का ईरान के बारे में दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है और उसने ईरान के एक राष्ट्रपति द्वारा इजरायल को दुनिया के नक्शे से मिटा देने की धमकी को बहुत गंभीरता से लिया है। उसका परमाणु शक्ति से संपन्न होना पश्चिम एशिया की शांति के लिए खतरा है।

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