लखनऊ, 10 जून। केंद्र सरकार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के योग्यता प्रमाणपत्रों की वैधता अवधि को पांच वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने की तैयारी चल रही है और यदि सबकुछ अनुकूल रहा तो इस बाबत जल्द ही राज्य सरकार आदेश जारी कर सकती है। विभागीय सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
गौरतलब है कि शिक्षक के रूप में कार्यरत किसी भी व्यक्ति के लिए शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है। वर्तमान व्यवस्था के तहत केंद्र स्तर पर जारी किए जाने वाले टीईटी प्रमाण पत्र सात वर्षों के लिए मान्य हुआ करते थे जबकि उत्तर प्रदेश में इस प्रमाण पत्र की वैधता सिर्फ पांच वर्ष ही थी। ऐसे में हर बार अपनी योग्यता साबित करने को लेकर शिक्षकों में नाराजगी भी थी।
इस बीच केंद्र सरकार ने टीईटी योग्यता प्रमाण पत्र की वैधता की व्यवस्था में परिवर्तन का आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत यह प्रमाण पत्र अब सात वर्षों की बजाए आजीवन वैध माना जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जिन उम्मीदवारों या छात्रों के प्रमाणपत्र की सात वर्ष की अवधि पूरी हो गई है, उनके बारे में संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निधारण करने या नया टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। यह व्यवस्था 2011 से प्रभावी होगी। केंद्र सरकार के बाद नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की ओर से भी इस बाबत दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं।
केंद्र सरकार और एनसीटीई के दिशा निर्देशों के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी सरकार के स्तर पर कवायद शुरू कर दी गई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो सिद्धांत स्तर पर नए नियम को लागू करने पर सहमति भी बन गई है। लेकिन कुछ अन्य पहलुओं पर मंथन जारी है और जल्द ही इस बाबत आदेश जारी किया जाएगा।