नई दिल्ली, 18 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को बदनाम करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसके साथ ही न्यायालय ने मछली पकड़ने के अधिकारों के पट्टे से संबंधित एक मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए दो अधिवक्ताओं सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी की।
न्यायाधीश को बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती
शीर्ष अदालत ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि अदालतों को कथित रूप से बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि कोई न्यायाधीश ‘गलती से परे’ नहीं है और संभव है कि उन्होंने गलत आदेश पारित किया हो, जिसे बाद में रद किया जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश को बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अदालतों को बदनाम करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।’ पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा अगस्त में पारित आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उस पीठ में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल थे।
पीठ ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) और याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील को भी नोटिस जारी किया और उनसे यह स्पष्ट करने को कहा कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की काररवाई शुरू की जानी चाहिए।