नई दिल्ली, 16 सितंबर। मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। अब इस मामले में अगले साल फरवरी में सुनवाई होगी। कोर्ट को तय करना है कि पति का पत्नी से जबरन संबंध बलात्कार है या नहीं। 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने इस मामले में अलग-अलग फैसला दिया था। इसके बाद यह मामला अब देश की सबसे बड़ी कोर्ट में आया है।
- भारतीय कानून में मैरिटल रेप अपराध नहीं है
बता दें, भारतीय कानून में मैरिटल रेप अपराध नहीं है। हालांकि, एक लंबे समय से इसे अपराध घोषित करने की मांग कई संगठन कर रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर इसे आईपीसी की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म के तौर पर लिए जाने की मांग की थी। हाईकोर्ट में दोनों जजों की इस मामले पर सहमति नहीं थी जिसके बाद कोर्ट ने 3 जजों की बेंच में भेजने का निर्णय लिया।
- हाईकोर्ट के दो जजों का मानना था…
हाईकोर्ट में जज राजीव शकधर ने इसे वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया तो वहीं हरि शंकर जज का कहना था कि आईपीसी (IPC) के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे क्या कहता है?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, देश में 29 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं जो पति द्वारा यौन हिंसा का सामना करती हैं। बताया ये भी गया कि, ग्रामीण और शहरी इलाकों में ये अंतर और ज्यादा है। गांवों में 32 तो वहीं शहरी हिस्सों में 24 प्रतिशत महिलाए इसका शिकार होती हैं।