नई दिल्ली, 18 जुलाई। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है तथा ऐसे में अब न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन किए जाने की जरूरत है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कुछ सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि आज श्रमिकों की क्रय शक्ति (ख़रीदारी करने की क्षमता) 10 साल पहले की तुलना में कम है।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों सहित डेटा के कई स्रोतों में एक तथ्य समान रूप से सामने आ रहा है कि आज श्रमिकों की क्रय शक्ति 10 साल पहले की तुलना में कम है। धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण वास्तविक मजदूरी में अभूतपूर्व गिरावट आई है।’’
उन्होंने कहा कि श्रम ब्यूरो के वेतन दर सूचकांक (सरकारी डेटा) के मुताबिक, 2014 और 2023 के बीच श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर हो गई है और 2019 से 24 के बीच तो कम भी हो गई है। रमेश ने दावा किया कि ‘कृषि मंत्रालय की कृषि सांख्यिकी एक नज़र में’ (सरकारी डेटा) के अनुसार, डॉक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल में खेतिहर मज़दूरों की वास्तविक मज़दूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में वास्तविक मजदूरी में हर साल1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण श्रृंखला (सरकारी डेटा) के मुताबिक, समय के साथ औसत वास्तविक कमाई 2017 और 2022 के बीच सभी तरह के रोज़गारों में स्थिर हो गई। रमेश ने‘सेंटर फ़ॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि 2014 और 2022 के बीच ईंट भट्ठों के श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर हो गई है या घट गई है। ईंट भट्टे का काम अत्यधिक शारीरिक श्रम और कम वेतन वाला काम है जो सबसे ग़रीब लोगों का अंतिम विकल्प है।’’
रमेश का कहना था, ‘‘हमारे श्रमिकों को न्याय दिलाने और स्थिर मजदूरी के इस चक्र को तोड़ने के लिए, कांग्रेस पार्टी ने अपने न्याय पत्र में हर महीने 400 रुपये न्यूनतम मजदूरी देने की गारंटी दी थी। ‘‘स्वयंभू नॉनबायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ के लोकसभा में 400 पार पहुंचने के प्रयासों को मतदाताओं ने सिरे से ख़ारिज़ कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट उन्हें वह प्राप्त करने करने का मौका देता है जिसे कांग्रेस ने असली 400 पार कहा है। राष्ट्रव्यापी स्तर पर प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये करना एक ऐसा विचार है जिस पर काम करने का समय आ गया है।’’