कोलंबो, 5 अप्रैल। श्रीलंका में आर्थिक संकट के साथ-साथ सियासी संकट भी गहराता जा रहा है। इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वो इस्तीफा नहीं देंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक गोटबाया राजपक्षे ने मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को सूचित किया है कि वो श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में पद नहीं छोड़ेंगे, लेकिन जो भी पार्टी ये साबित करती है कि उसके पास 113 सीटों का बहुमत है तो वो उन्हें सरकार सौंपने के लिए तैयार हैं। डेली मिरर के मुताबिक राजपक्षे ने सोमवार को राजनीतिक बैठक की। श्रीलंका में जरूरी वस्तुओं की कमी और बिजली बिजली कटौती के खिलाफ जनता का विरोध जारी है।
- श्रीलंका के राष्ट्रपति का इस्तीफा देने से इनकार
आर्थिक संकट को लेकर सरकार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच श्रीलंका के 26 कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार को अपने पदों से सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति राजपक्षे ने संकट से निपटने के लिए विपक्षी दलों को कैबिनेट में शामिल होने और एकता सरकार बनाने का न्योता दिया है। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) के बाहर होने और कुछ सांसदों के स्वतंत्र रूप से बैठने की धमकी देने से सरकार ने अपना दो-तिहाई बहुमत खो दिया है। हालांकि, एसएलपीपी अब अपनी 113 सीटों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है ताकि वह साधारण बहुमत के साथ भी सरकार में बने रह सके और महिंदा राजपक्षे प्रधान मंत्री के रूप में बने रह सकें।
- श्रीलंका में भारी आर्थिक संकट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगर सरकार आज अपने नंबर दिखाने में विफल रहती है तो नए प्रधानमंत्री पर फैसला करने के लिए स्पीकर को एक बहस के लिए बुलाने का प्रस्ताव दिया जाएगा और जैसा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने फैसला किया है, सरकार को नई पार्टी को सौंप दिया जाएगा। बता दें कि देश में महंगाई चरम पर है। डीजल पेट्रोल की भारी किल्लत है। कई घंटों तक लोगों को बिजली कट की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था।