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वैष्णो देवी धाम में इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ से पार जा सकती है, श्राइन बोर्ड चिंतित

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जम्मू, 7 अक्टूबर। शारदीय नवरात्र के अवसर पर इस वर्ष वैष्णो देवी धाम में आने वालों श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ से पार सकती है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने ऐसी उम्मीद जाहिर की है, लेकिन साथ ही दर्शनार्थियों की बढ़ती भीड़ को लेकर चिंता भी जाहिर की है।

श्राइन बोर्ड पहले से ही धाम आने वालों श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर परेशान था, जिसके हल की खातिर वह आईआईएम अहमदाबाद की सहायता ले रहा है। वैष्णो देवी तीर्थ स्थान देश का पहला ऐसा तीर्थस्थान है, जहां वाहनों से नहीं बल्कि लोग पैदल ही 13 किमी की चढ़ाई चढ़ कर देवी की पिंडियों के दर्शनार्थ जाते हैं।

वर्ष के पहले 9 माह में दर्शनार्थियों की कुल संख्या 73,25,298

चालू वर्ष में अब तक बने रिकार्डों के बाद श्राइन बोर्ड को श्रद्धालुओं की कुल संख्या एक करोड़ के पार जाने के रिकार्ड की भी आस जग गई है। माता के दरबार में वर्ष 2023 के जनवरी माह में 5,24,189 श्रद्धालु, फरवरी माह में 4,14,432, मार्च में 8,94,650, अप्रैल में 10,18,540, मई में 9,95,773, जून में 11,95,844, जुलाई में 7,76,800, अगस्त में 7,10,914 और सितम्बर में 7,94,156 श्रद्धालु दरबार में पहुंचे। इसी तरह पहले नौ माह तक कुल 73,25,298 माता के धाम में पहुंचे।

पिछले वर्ष इस अवधि में 72,10,139 श्रद्धालु पहुंचे थे

वर्ष 2022 के जनवरी माह में 4,38,521, फरवरी में 3,61,074, मार्च में 7,78,669, अप्रैल में 9,02,192, मई में 9,86,766, जून में 11,29,231, जुलाई में 9,07,542, अगस्त में 8,77,762 और सितम्बर में 8,28,382 श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के चरणो में हाजिरी लगाने पहुंचे थे। वर्ष 2022 के सितम्बर माह तक 72,10,139 श्रद्धालु पहुंचे थे।

सुविधाएं बढ़ाने का अब और कोई उपाय श्राइन बोर्ड को नहीं सूझ रहा

बढ़ती भीड़ के कारण हालत ऐसी है कि पहाड़ों के बीच स्थित गुफा के दर्शनार्थ आने वालों की सुविधाएं बढ़ाने का अब और कोई उपाय श्राइन बोर्ड को नहीं सूझ रहा है। पहाड़ों को काट कर नए रास्ते बनाने का जोखिम श्राइन बोर्ड नहीं लेना चाहता क्योंकि भूवैज्ञानिक इसके प्रति चेतावती देते रहे हैं।

वर्ष 2012 में पहली बार श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ के पार पहुंची थी

श्राइन बोर्ड के अधिकारी चाहते हैं कि इस साल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक नया रिकार्ड बनाए। वर्ष 2012 में पहली बार श्रद्धालुओं की संख्या ने एक करोड़ का आंकड़ा पार किया था। उसके बाद यह लगातार चार सालों तक ढलान पर रही। फिर दो साल इसमें बढ़ोतरी तो हुई, लेकिन कोरोना के दो वर्षों ने इसकी बाट लगा दी। कोरोना काल में तो यह हाल था कि वर्ष 2020 में अप्रैल से जुलाई तक यात्रा के बंद रहने के कारण साल में मात्र 17 लाख श्रद्धालु ही आए थे।

बमों के धमाके भी वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं को कभी नहीं रोक पाए

यह पूरी तरह से सच है कि चाहे कश्मीर की ओर बढ़ते पर्यटकों के कदमों को आतंकियों की गोलियों की सनसनाहट ने अकसर रोका हो, लेकिन बमों के धमाके भी वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं को कभी नहीं रोक पाए। हालांकि पहले नवरात्रि के दौरान अधिक भीड़ होती थी तो अब गर्मियों में उत्तरी भारत तथा सर्दियों में महाराष्ट्र तथा गुजरात से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण स्थानीय व्यापारियों को श्रद्धालुओं की कमी नहीं खलती है।

पहले सर्दियों में आने वालों की संख्या बहुत ही कम होती थी। भयानक सर्दी तथा अव्यवस्थाओं के चलते लोग सर्दियों के स्थान पर साल के अन्य महीनों में भी गुफा के दर्शनार्थ आते थे। लेकिन पिछले करीब 18 सालों से स्थापना बोर्ड द्वारा बिना शुल्क हीटर, अधिक संख्या में कम्बलों तथा गर्मी पहुंचाने के साधनों का इंतजाम बड़ी मात्रा में किए जाने के कारण सर्दियों में भी बड़ी भीड़ श्रद्धालुओं की आ रही है।

वैष्णो देवी धाम के कायाकल्प में पूर्व राज्यपाल जगमोहन की अहम भूमिका

यह बात अलग है कि सर्दियों में वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा पर आने का अपना अलग ही आनंद है। यह आनंद तब और भी बढ़ जाता है, जब गुफा के आसपास के क्षेत्र में या तो बर्फबारी हो रही हो या फिर बर्फबारी हो चुकी हो। ऐसे में श्रद्धालु एक पंथ में दो काज संवार लेते हैं। उन्हें कश्मीर या फिर पत्नीटाप नहीं जाना पड़ता बर्फ देखने की खातिर। कुछ भी कहा जाए, वर्ष 1950 में जिस गुफा के दर्शनार्थ मात्र 3000 लोग आया करते थे, उसकी कायाकल्प करने में पूर्व राज्यपाल जगमोहन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने 1986 में इसका संचालन अपने हाथों मे लेकर श्राइन बोर्ड की स्थापना की थी।

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