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‘प्रधानमंत्री के वैचारिक परिवार’ ने तिरंगे को लंबे समय तक अस्वीकार किया था: कांग्रेस का दावा

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नई दिल्ली, 10 अगस्त। कांग्रेस ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री उस राष्ट्रीय प्रतीक को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे उनके ‘वैचारिक परिवार’ ने लंबे समय तक अस्वीकार किया था। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई इतिहास और प्रतीक नहीं है, जिसे भारत अपना मान सके।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने एक और हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया है। तिरंगे के साथ आरएसएस के संबंधों का संक्षिप्त इतिहास देखना चाहिए।” उन्होंने कहा, “आरएसएस के दूसरे प्रमुख एमएस गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के कांग्रेस के फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने इसे ‘सांप्रदायिक’ और ‘सिर्फ बहकने और नकल करने का मामला’ करार दिया था।”

रमेश ने दावा किया कि आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने 1947 में लिखा था कि तिरंगे को “हिंदुओं द्वारा कभी अपनाया नहीं जाएगा और न ही इसका सम्मान किया जाएगा। शब्द तीन अपने आप में एक बुराई है और तीन रंगों वाला झंडा निश्चित रूप से बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करेगा। यह देश के लिए हानिकारक है।”

रमेश के मुताबिक, वर्ष 2015 में आरएसएस ने कहा था कि “राष्ट्रीय ध्वज पर भगवा रंग ही एकमात्र रंग होना चाहिए, क्योंकि अन्य रंग सांप्रदायिक विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं।” उन्होंने दावा किया, “आरएसएस ने 2001 तक अपने मुख्यालय में नियमित रूप से तिरंगा नहीं फहराया और जब तीन युवकों ने इसके परिसर में तिरंगा फहराने की कोशिश की, तब जबरदस्ती करने का ‘अपराध’ बताकर उन पर मामला दर्ज किया गया।”

रमेश ने आरोप लगाया, “प्रधानमंत्री उस राष्ट्रीय प्रतीक को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे उनके ‘वैचारिक परिवार’ ने लंबे समय से अस्वीकार किया था, क्योंकि उनके संगठन का कोई इतिहास और प्रतीक नहीं है, जिसे भारत अपना मान सके। विशेष रूप से उस दिन जब भारत और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ मना सकते हैं, जिसमें आरएसएस ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।”