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न्यायमूर्ति शेखर के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

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लखनऊ, 8 जनवरी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले महीने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति शेखर यादव की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अशोक पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि उच्च न्यायालय को राज्यसभा के सभापति को निर्देश जारी करना चाहिए कि वह 55 सांसदों द्वारा राज्यसभा महासचिव को पेश किए गए प्रस्ताव पर आगे की कार्यवाही शुरू न करें। पीठ ने कहा कि जनहित याचिका दबे कुचले वर्ग के लोगों की आवाज उठाने के लिए दायर की जाती है, किन्तु इस प्रकरण में ऐसा नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि जनहित याचिका दायर करने के लिए जो सीमाएं तय की गयी हैं, यह याचिका उससे बाहर है इसलिए यह सुनवाई योग्य नहीं है।

न्यायमूर्ति यादव ने आठ दिसंबर को विहिप के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। न्यायमूर्ति यादव के इस भाषण को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।

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