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दक्षिण अफ्रीका : रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की उम्र में निधन

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जोहानेसबर्ग, 26 दिसंबर। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के नायक डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया। लगभग दो दशकों से प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करा रहे आर्कबिशप टूटू को इस महीने की शुरुआत में संक्रमण की शिकायत के चलते केप टाउन के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने टूटू के निधन की जानकारी दी।

1998 में नोबेल शांति पुरस्कार से हुए थे सम्मानित

आर्कबिशप टूटू को दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यकों के शासन का मुकाबला करने के लिए 1984 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नस्लवादी रंगभेद शासन के खिलाफ टूटू हमेशा मुखर रहे थे। वह कभी भी अन्याय का सामना करने से नहीं कतराते थे। उन्होंने ही दक्षिण अफ्रीका के लिए रेनबो नेशन शब्द गढ़ा था, जब नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे।

राष्ट्रपति रामाफोसा बोले – डेसमंड टूटू का निधन शोक का एक और अध्याय

राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने वयोवृद्ध दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू का निधन उत्कृष्ट दक्षिण अफ्रीका की एक पीढ़ी के लिए हमारे देश की विदाई में शोक का एक और अध्याय है, जिन्होंने हमें एक मुक्त दक्षिण अफ्रीका दिया है।’

डेसमंड टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए मार्गदर्शक थे पीएम मोदी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डेसमंड टूटू के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे। मानवीय गरिमा और समानता पर उनका जोर हमेशा याद किया जाएगा। मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।’

आर्कबिशप डेसमंड टूटू आईपी ट्रस्ट के कार्यवाहक अध्यक्ष और आर्कबिशप के कार्यालय के समन्वयक डॉ. रामफेला मम्फले ने कहा कि आखिरकार, 90 साल की उम्र में आज सुबह केप टाउन में ओएसिस फ्रेल केयर सेंटर में डेसमंड टूटू का निधन हो गया।

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