वाराणसी, 14 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अगले कुछ माह के अंदर गंगा नदी के प्रदूषण मुक्त होने की पूरी संभावना है क्योंकि वर्षों से जीवनदायिनी गंगा में सीधे गिरने वाले सभी नालों का पानी अब शोधन के बाद गिरेगा।
गौरतलब है कि वाराणसी क्षेत्र से कुल 23 नाले सीधे गंगा में गिरते थे। लेकिन उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयास से अब कुल 22 नालों का पानी शोधित होने लगा है। जल्द ही बचा हुआ एक नाला भी बंद हो जाएगा।
गंगा प्रदूषण के परियोजना प्रबंधक एस.के. बर्मन ने बताया कि अस्सी, सामने घाट, नक्खानाला नाला टैप कर दिया गया है। नगवां पम्पिंग स्टेशन से नाले का पानी रमना एसटीपी तक भेजा जा रहा है। गंगा उस पार रामनगर के पांचों नालों को वहीं स्थापित एसटीपी शोधित कर रहे हैं। दोनों एसटीपी में टेस्टिंग व एस्टेब्लाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है। रामनगर एसटीपी का भी ट्रायल कुछ ही हफ्तों में खत्म होने वाला है, जिसके बाद ये आठ नाले भी हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे।
एस.के. बर्मन ने बताया कि वाराणसी में कुल 23 में से 19 नालों को पहले ही बंद किया जा चुका है। तीन नालों को और टैप करने के बाद महज एक खिड़किया घाट का नाला कोरोना काल के कारण रह गया है। कुछ माह में यह भी टैप कर दिया जाएगा। आंकड़ों के अनुसार वाराणसी से कुल 300 एमएलडी सीवेज निकलता है, जिसमें से 260 एमएलडी सीवेज शोधित किया जाने लगा है। बचा 40 एमएलडी सीवेज भी जल्द शोधित होने लगेगा।
ज्ञातव्य है कि वाराणसी में सीवेज ट्रीटमेंट की योजना वर्ष 2030 से लेकर 2035 तक के लिए बनाई गई है। सबसे पहले 1986 में कांग्रेस की सरकार के समय गंगा एक्शन प्लान की शुरुआत हुई थी, जो धीरे-धीरे दम तोड़ती चली गई। हालांकि वर्ष 2014 में प्रधानमत्री मोदी ने जब गंगा को लेकर गंभीरता दिखाई तो इस कार्य में फिर तेजी आई और लगातार प्रयासों से अब काशी में गंगा निर्मलीकरण योजना अपने लक्ष्य के निकट जा पहुंची है।