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बार काउंसिल के एक आदेश से यूपी के 1.75 लाख वकीलों का भविष्य खतरे में, अधर में लटकी वकालत

बार काउंसिल के एक आदेश से यूपी के 1.75 लाख वकीलों का भविष्य खतरे में, अधर में लटकी वकालत

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कानपुर, 3 जनवरी। उत्तर प्रदेश में लगभग 1.75 लाख वकील अनिश्चितता से जूझ रहे हैं क्योंकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को उनके सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस (सीओपी) को रिन्यू करने से रोक दिया, जो 31 दिसम्बर, 2022 को खत्म हो चुका है। वकालत के लिए जरूरी सीओपी दिसम्बर 2017 में पांच साल के लिए जारी किया गया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रिव्यू से संबंधित एक आदेश यूपी बार काउंसिल को दिया है, जिसके मुताबिक रिव्यू संबंधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक कोई सीओपी जारी नहीं किया जाएगा। बीसीआई के सहायक सचिव अवनीश पांडेय ने यूपी बार काउंसिल को लिखे पत्र में कहा है कि कुछ संशोधनों के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति जरूरी है।

पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति दिए जाने और संशोधन किए जाने के बाद राज्य बार काउंसिल को बीसीआई के नियमों के तहत रिन्यू की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया जाएगा। पत्र में ये भी कहा गया है कि यूपी बार काउंसिल ने जल्दबाजी में रिव्यू प्रोसेस शुरू किया और बिना वकीलों की डिग्री और उनकी शैक्षणिक योग्यता चेक किए उन्हें सीओपी जारी कर दिए।

यूपी बार काउंसिल ने बदले नियमों के तहत दिसम्बर 2017 में सीओपी जारी किए थे। इसके मुताबिक 2010 के बाद कानून की परीक्षा पास करने वाले वकीलों को सीओपी की जरूरत होगी। इस प्रक्रिया के तहत तमाम दस्तावेजों के सत्यापन के साथ ये भी देखा जा रहा था कि इस दौरान उन्होंने कितने केस लड़े।

यूपी बार काउंसिल के सह अध्यक्ष अंकज मिश्र ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि यूपी में 1.75 लाख वकीलों की सीओपी खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यूपी बार काउंसिल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान COP रिन्यू संबंधित मामले में अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर परिषद की बैठक भी हो चुकी है और उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा।

इस बीच कानपुर में लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र शर्मा ने कहा कि वकील इस घटनाक्रम से काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि सीओपी प्रैक्टिस करने वाले वकील के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य बार काउंसिल के साथ इस मुद्दे को उठा गया है।

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