Site icon hindi.revoi.in

छठ महापर्व : डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पहला चरण संपन्न, शुक्रवार को दिया जाएगा उगते सूर्य को अर्घ्य

Social Share

पटना, 7 नवम्बर। लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन गुरुवार को पूरे राज्य में श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही छठ पूजा का पहला चरण संपन्न हो गया। शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिए जाने से के साथ ही चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जाएगा।

पटना और राज्य के अन्य हिस्सों में गुरुवार की शाम पवित्र गंगा नदी और अन्य सरोवरों के विभिन्न घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ पूजा-अर्चना की।

सीएम नीतीश कुमार ने मुख्यामंत्री आवास में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया

वहीं, पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। दरअसल, मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार के परिवार के सदस्य छठ पूजा कर रहे हैं। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद मुख्यमंत्री स्टीमर से पटना के विभिन्न छठ घाटों का जायजा लेने निकल गए। पटना के विभिन्न छठ घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने भी सीएम नीतीश संग घाटों का जायजा लिया

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी छठ महापर्व में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे, जहां एयरपोर्ट पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल, उप मुख्यमंत्रीद्वय सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, पूर्व सांसद राम कृपाल यादव, विधान पार्षद नवल किशोर यादव सहित कई नेताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद जेपी नड्डा ने भी सीएम नीतीश कुमार के साथ स्टीमर पर सवार होकर गंगा घाटों पर अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं का दर्शन किया।

उल्लेखनीय है कि कि चार दिवसीय उत्सव पांच नवम्बर को ‘नहाय खाय’ अनुष्ठान के साथ शुरू हुआ था। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और दिवाली के छह दिन बाद होता है। पहले दिन श्रद्धालु छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करते हैं तथा अपने परिवार तथा बच्चों की समृद्धि के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

अगले दिन श्रद्धालु दिनभर का उपवास रखते हैं, जो शाम को सूर्य और चंद्रमा की प्रार्थना के बाद समाप्त होता है। तीसरे दिन को ‘पहला अर्घ्य’ कहा जाता है। श्रद्धालु नदी के किनारे जाकर सूर्य देव को ‘प्रसाद’ और ‘अर्घ्य’ चढ़ाते हैं। इसके बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व आठ नवम्बर को सुबह समाप्त हो जाएगा।

Exit mobile version