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समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत : भारतीय नौसेना को सौंपा गया पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत

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कोच्चि, 29 जुलाई। हिन्द महासागर में चीन को चुनौती देने के लिए भारतीय नौसेना की ताकत में जल्द ही बड़ा इजाफा होने वाला है। इस क्रम में पहले स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। 45,000 टन के इस युद्धपोत को बनाने में 20,000 करोड़ का खर्च आया है।

45,000 टन के युद्धपोत को बनाने में 20,000 करोड़ का खर्च

इस पोत के नौसेना में शामिल हो जाने से समुद्र में भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत का नाम विक्रांत भारत के पहले विमान वाहक पोत के नाम पर रखा गया है। 1971 में विक्रांत नाम के विमान वाहक पोत ने भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी।

ये है आईएनएस विक्रांत की ताकत

पहले स्वदेशी युद्धपोत विक्रांत की लंबाई 860 फीट, चौड़ाई 203 फीट, और ऊंचाई 84 फीट है। इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़ का है। यह युद्धपोत समुद्र में 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है। विक्रांत एक बार में 15,000 किलोमीटर की यात्रा करने में सक्षम है। विक्रांत पर नौसेना के 196 अधिकारी और 1,149 कर्मचारी रह सकते हैं। इस युद्धपोत को बनाने की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी। 45,000 टन वजनी इस विमान वाहक पोत में लगभग 76 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हैं।

कई तरह के घातक हथियारों से भी लैस है आईएनएस विक्रांत

आईएनएस विक्रांत कई तरह के घातक हथियारों से भी लैस है, जो इसकी ताकत में भारी इजाफा करते हैं। विमान पर 4 ओटोब्रेडा 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन के अलावा 4 AK-630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन भी लगी है। इस युद्धपोत पर बराक जैसी घातक मिसाइल तैनात की जाएगी। साथ ही भविष्य में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का उन्नत वर्जन भी पोत पर तैनात किया जाएगा।

पोत पर एक साथ 30 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं

आइएनएस विक्रांत  पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov Ka-31 हेलिकॉप्टर के दो स्क्वॉड्रन तैनात हो सकते हैं। विक्रांत से एक नए डेक-आधारित लड़ाकू विमान को संचालित करने की भी योजना है, जिसे नौसेना खरीदने की योजना बना रही है। कुल मिलाकर इस पोत पर एक साथ 30 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।

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