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सबरीमाला मंदिर में भक्तों ने चढ़ाया इतना चढ़ावा…सिक्के गिनते-गिनते थक गए कर्मचारी

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नई दिल्ली, 12 फरवरी। केरल के सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में भक्‍तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। नवंबर से शुरू हुए 60 दिवसीय मंडलम-मकरविलक्कू महोत्‍सव में लाखों की संख्‍या में पहुंचे भक्‍तों ने इस बार दिल खोलकर दान दिया। मंदिर को मिले इस बार के दान का पिछला रिकार्ड टूट गया है। मंदिर को 351 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ है। हालांकि यह अभी फाइनल आंकड़े नहीं हैं क्योंकि मंदिर में सिक्कों की गिनती अभी तक पूरी नहीं हुई है।

सिक्‍के गिनने वाले कर्मचारी गिनती करते-करते थक गए हैं इसलिए उन्‍हें थोड़ा आराम दिया गया है। कुछ समय बाद गिनती फिर से चालू होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष के. अनंत गोपाल का कहना है कि नोट गिनने वाली मशीन से सिक्‍कों की गिनती संभव नहीं है। अय्यप्पा मंदिर को सिक्‍कों के रूप में भी करोड़ों रुपए का दान मिलता है। सिक्कों की गिनती के लिए मंदिर प्रबंधन ने 600 कर्मचारियों को काम पर लगा रखा है।

मंदिर को प्रसादम की बिक्री से भी काफी आय होती है। उत्सव के समय मंदिर से अरावना और अप्पम प्रसादम के रूप में दिए जाते हैं। अप्पम की हुंडी 100 रुपए में मिलती है। मंदिर में औसतन 1 लाख तीर्थ यात्री प्रतिदिन पहुंचे। इन यात्रियों द्वारा लिए गए प्रसादम से मंदिर को खूब आय हुई। मंदिर के गर्भगृह में भक्त जो दान अर्पित करते हैं उसे कनिका कहा जाता है। सिक्कों के रूप में मिली कनिका दरअसल करोड़ों रुपये की राशि है. जो अब तक गिनी नहीं जा सकी है।

फिलहाल ये सिक्के बड़े स्टोर रूम में रखे गए हैं। जो सिक्कों के बड़े पहाड़ के रूप में नजर आ रहे हैं। भगवान अय्यप्‍पा को कनिका अर्पित करने की अपनी एक अलग प्रथा है। यहां सीधे हुंडी या दानपात्र में पैसे नहीं डाले जाते। नोट या सिक्‍के एक थैली में डाले जाते हैं और उसमें एक पान का पता भी रखा जाता है। यही थैली फिर कनिका के रूप में भेंट की जाती है। अगर इस थैली को ज्‍यादा देर तक खोला न जाए तो पान के पत्‍ते के गलने से नोट खराब भी हो सकते हैं।

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