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कोरोना की आगामी लहरें बढ़ा सकती हैं भारत की मुश्किलें : डॉ सौम्या स्वामीनाथन

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नई दिल्ली, 17 मई। कोविड-19 की विभीषिका से कब मुक्ति मिलेगी, इस बाबत दुनियाभर के वैज्ञानिक कुछ भी बताने में सक्षम नहीं हैं। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप झेल रहे भारत के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी है कि भविष्य में आने वाली कोरोना की और लहरें देश की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। इस जानलेवा महामारी से संघर्ष में अगले छह से 18 माह भारत के प्रयासों के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाले हैं।

देश के प्रमुख अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ को दिए साक्षात्कार में डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, ‘महामारी के खिलाफ लड़ाई में बहुत कुछ वायरस के विकास पर भी निर्भर करता है। वैरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन की क्षमता और वैक्सीन से बनने वाली इम्यूनिटी कितने समय तक लोगों का बचाव करती है, ये काफी मायने रखता है। इसमें बहुत कुछ बदल रहा है।’

डॉ. सौम्या ने कहा, ‘हम जानते हैं कि महामारी के इस घातक चरण का निश्चित तौर पर एक अंत होगा। इस वर्ष के अंत तक हम ऐसा देख सकते हैं, जब दुनिया की लगभग 30 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका हो। यही वो समय होगा, जब हम लगातार हो रही मौतों में गिरावट देखना शुरू करेंगे। इसके अगले वर्ष टीकाकरण में तेजी आ सकती है।’

डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, ‘हम सब महामारी के एक चरण से गुजर रहे हैं, जहां अब भी कई मुश्किल पड़ाव आने बाकी हैं। हमें अगले छह से 12 माह तक अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना होगा, जो बहुत कठिन समय हो सकता है। इसके बाद ही नियंत्रण या उन्मूलन को लेकर दीर्घकालिक योजना के लिए बात करनी चाहिए। हम जानते हैं कि वैक्सीन से बनने वाली इम्यूनिटी और प्राकृतिक संक्रमण से बनने वाली इम्यूनिटी कम से कम आठ महीने तक रहती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, हम ज्यादा से ज्यादा डेटा एकत्र करते हैं।’

उन्होंने बताया, ‘हमारे पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन लेने वाले लोगों में नए वैरिएंट से संक्रमित होने की संभावना कितनी है। इसे लेकर शोध की आवश्यकता है। इसके क्लीनिकल प्रोफाइल के मरीज, एपिडेमायोलॉजी और ट्रांसमिशन के डेटा की भी सख्त जरूरत होगी। साथ ही कुछ ऐसे लोगों के डेटा की भी जरूरत होगी, जो संक्रमण के दौरान वैक्सीन की डोज ले चुके हैं।’

हालांकि डॉ. सौम्या ने यह भी कहा, ‘हमारी जानकारी के अनुसार भारत में उपलब्ध वैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ काफी प्रभावशाली है। यद्यपि कई मामलों में दो डोज लेने वाले लोग भी संक्रमित हुए हैं। इनमें कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ा है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ मामलों में ऐसा होता है क्योंकि कोई वैक्सीन 100 प्रतिशत बचाव नहीं करती। हालांकि दो डोज लेने वाले अधिकतर लोग घातक बीमारी से बच निकलने में सफल रहे हैं।’

डॉ. स्वामीनाथन ने कई फायदेमंद रणनीतियों को अपनाने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, ‘हेल्थ केयर में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि हमारी जिंदगी में बिना स्वास्थ्य के कुछ भी नहीं है। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रबल रहना बहुत जरूरी है।’

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