Site icon hindi.revoi.in

अपना गम छिपा दूसरों के आंसू पोंछता रहा कुनबा, अखिलेश, रामगोपाल और शिवपाल लोगों को देते रहे सांत्वना

Social Share
FacebookXLinkedinInstagramTelegramWhatsapp

सैफई, 10 अक्टूबर। सियासत के सबसे बड़े कुनबे का सरपरस्त चला गया, जिन्हें उसने राजनीति का ककहरा सिखाया था, सब हाथ बांधे खड़े हैं। सियासी दिग्गजों की भीड़ में कोई सांसद रहा तो कोई विधायक। लेकिन आज सब दुख से चकनाचूर।

मुलायम सीख दे गए थे… विपत्ति से कभी न घबराना। जरा ठहरना.. सोचना फिर पूरी ताकत से लड़ना। लेकिन आज ऐसी विपत्ति है कि सीख साथ छोड़ रही है। सैफई कोठी में प्रोफेसर राम गोपाल हों या पूर्व सीएम अखिलेश। शिवपाल हों या धर्मेंद्र। सब बस फूट कर रोना चाहते हैं पर भीड़, उम्र और अनुभव इसकी भी इजाजत नहीं देता। आंखें भर-भर आ रही थीं, लेकिन लोगों को सांत्वना देकर खुद के आंसुओं को इन सबने किसी तरह सूख जाने को विवश कर दिया।

सैफई कोठी में देर रात मुलायम सिंह यादव के अंतिम दर्शन को इतनी भीड़ उमड़ी कि संभालना मुश्किल हो गया। लोगों के सब्र का बांध टूटता देख खुद प्रोफेसर राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव और धर्मेंद्र यादव आगे आए और उन्हें ढांढस बंधाया। लोग रो रहे थे। इससे पहले मुलायम के पार्थिव शरीर के साथ ही अखिलेश यादव, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और शिवपाल सैफई स्थित कोठी पहुंचे थे। उनके पहुंचते ही मानों सैलाब उमड़ पड़ा।

ये चारों नेता मुलायम सिंह के पार्थिव शरीर के पास ही बैठे थे। कोठी के बाहरी कक्ष में मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ था। परिवार की महिलाएं भी वहीं गमगीन बैठी अपलक नेताजी को निहार रही थीं। कई बार वह फफक पड़ीं तो अखिलेश ने उठकर उन्हें ढांढस बंधाया। धर्मेंद्र यादव और शिवपाल भी उन्हें सांत्वना देते रहे। देर रात तक न तो वहां से अखिलेश हटे और न ही शिवपाल और धर्मेंद्र।

शिवपाल ने अखिलेश को भी दी सांत्वना

शिवपाल यादव ने भी अखिलेश यादव को सांत्वना दी, जो कई बार आंसुओं को छिपाने की कोशिश कर रहे थे। प्रो. राम गोपाल यादव घर-बाहर हर जगह के गमगीन लोगों को समझाते व सांत्वना देते दिखे।

Exit mobile version