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केंद्र ने पेश किया वित्तीय वर्ष 2020-21 का जीडीपी आंकड़ा, स्थिति में धीरे-धीरे सुधार के संकेत

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नई दिल्ली, 31 मई। ऐसे समय जब भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है, केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा पेश कर दिया है। हालांकि जीडीपी ग्रोथ पर कोरोना महामारी साफ असर दिख रहा है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे सुधार के संकेत भी मिलने लगे हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी नवीनतम आंकड़ों पर गौर करें तो पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी वृद्धि दर माइनस(-)7.3% फीसदी रही। हालांकि इस दौरान चौथी और अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह दर 1.6 फीसदी दर्ज की गई।

केंद्र सरकार ने गत फरवरी माह में खुद पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान जीडीपी में आठ फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। उस हिसाब से देखें तो सरकार के अनुमान से बेहतर जीडीपी के आंकड़े सामने आए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आर्थिक मोर्चे पर कोरोना संकट के बावजूद धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हो रही है। चौथी तिमाही में दर्ज की गई जीडीपी ग्रोथ रेट (1.6 फीसदी) इसका प्रमाण है।

फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर के भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर का सही अंदाजा तब लग लकेगा, जब वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (जून तिमाही) के लिए जीडीपी के आंकड़े सामने आएंगे।

ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष मार्च में आई कोरोना की पहली लहर ने अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया था। देश तकनीकी रूप से मंदी के दौर में चला गया था। उस दौरान लगातार दो तिमाहियों (अप्रैल-जून और जुलाई-सितम्बर) में देश की जीडीपी ने नेगेटिव ग्रोथ दिखाई थी। यानी जीडीपी में गिरावट आई थी। जून की तिमाही में तो जीडीपी करीब 24 फीसदी के ऐतिहासिक गिरावट बिंदु तक पहुंच गई थी।

हालांकि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में देश की जीडीपी माइनस(-)7.5 फीसदी रही थी जबकि दिसम्बर की तिमाही में 0.4 फीसदी की मामूली बढ़त हुई थी।

इस बीच कोरोना महामारी की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर प्रभावित हुई है, जिससे सरकार का खर्च बढ़ा है। इसके बावजूद राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा तय 9.5% से कम 9.3% पर रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। भारत के महालेखापरीक्षक (सीजीए) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भारत का राजकोषीय घाटा 251 अरब डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 18.21 लाख करोड़ रुपये) रहा है।