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रूस पर प्रतिबंध लगाने का दांव पड़ा उल्टा, यूरोप में बिजली के लिए मचा हाहाकार

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नई दिल्ली, 4 अगस्त। इन दिनों जर्मनी समेत पूरा यूरोप भीषण ऊर्जा और बिजली संकट से गुजर रहा है। जर्मनी समेत कई देश अपनी गैस की जरूरत का ज्यादातर हिस्सा रूस से आयात करते हैं लेकिन अब इसकी सप्लाई लगातार घटती जा रही है। इसके चलते यूरोप में लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस ऊर्जा संकट से निपटने की है जो महंगाई को भी बढ़ा रहा है। गैस की कीमतों के साथ ही इस पर निर्भर कई और चीजों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। इसी कड़ी में यूरोप के तमाम देश बिजली बचाने के नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।

दरअसल, यूरोप में गैस और ईंधन की कमी का संकट चल रहा है जब रूस ने यूरोप को दी जाने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में करीब 60 प्रतिशत कटौती कर दी है। इसके पीछे उसने रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों का हवाला भी दिया है। यह स्थिति यूरोप में एक गंभीर संकट पैदा करने वाली लग रही है। हालांकि यूरोप के तमाम देश इस संकट से उबरने के लिए अपने-अपने तरीकों पर काम कर रहे हैं।

जर्मनी: रूस से आने वाले तेल और गैस की कमी का जर्मनी पर सीधा असर पड़ा है और जर्मनी में बिजली उत्पादन अचानक कम हो गया। इसके चलते बिजली की आपूर्ति भी संकट में आ गई। जर्मनी ने इस सप्ताह सार्वजनिक जहगों पर लाइट बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कई शहरों में बड़ी इमारतों में हीटिंग कम करने के लिए लगी मशीनों को बंद करने के आदेश दिए हैं। जर्मनी की चिंता है कि सर्दियों में जब बिजली की खपत ज्यादा होगी तो संकट बड़ा हो सकता है।

फ्रांस: फ्रांस को अपनी अधिकांश ऊर्जा करीब 70 प्रतिशत ऊर्जा परमाणु ऊर्जा से प्राप्त होती है, लेकिन वह अगले दो सालों में अपने उपयोग की ऊर्जा खपत को दस प्रतिशत तक कम करना चाहता है। फ्रांस ने वातानुकूलित दुकानों में नियम के तहत बिजली खर्च करने के आदेश दिए हैं। आउटडोर कैफे और बार टेरेस को बिजली के माध्यम से गर्म या ठंडा करने की अनुमति नहीं दी गई है। इतना ही नहीं ऊर्जा बचाने के लिए वहां विज्ञापन पर खर्च होने वाली बिजली में कटौती कर दी गई है।

स्पेन: हालांकि स्पेन रूसी गैस आपूर्ति पर निर्भर नहीं है, फिर भी सरकार नागरिकों को ऊर्जा खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यहां पर्यावरण मंत्री ने कहा कि बिजली बचाने के प्रति लोगों को जितना संभव हो उतना बुद्धिमान होने की जरूरत है। स्पेन भी गैस के उपयोग में 7 से 8 प्रतिशत की कटौती करना चाहता है। स्पेन की सरकार ने भी लोगों को सलाह दी है कि लाइट बंद करके भी हम बिजली बचा सकते हैं।

इसके अलावा इटली, ग्रीस और अन्य देश भी बिजली बचाने की योजना पर काम कर रहे हैं। उधर यूरोपीय यूनियन भी अब सक्रिय हो गया है। उसका लक्ष्य अब सर्दियों के लिए भंडार बनाने का है और इसके लिए वह कम ऊर्जा का इस्तेमाल के उपाय अपनाने में लग गया है। फिलहाल यूरोपीय गैस भंडार केवल 65 प्रतिशत ही भरे हैं जबकि एक नवबंर तक इसका लक्ष्य 80 प्रतिशत करने का है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस यूक्रेन युद्ध से पहले रूस यूरोप की प्राकृतिक गैस की आवश्यकता का 40 प्रतिशत हिस्सा देता था जो अब 15 प्रतिशत तक गिर गया है। इसी के चलते यूरोप में अचानक बिजली संकट पैदा हो गया है। कुछ एक्सपर्ट्स तो यहां तक कह रहे हैं कि रूस पर प्रतिबंध लगाने का दांव अब खुद यूरोप पर ही उल्टा पड़ रहा है।

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