लखनऊ, 26 जुलाई। मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग नौ माह से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान संगठनों का रुख अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की ओर भी बढ़ने वाला है। इसी क्रम में संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई की हुंकार भरी और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यूपी विधानसभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश सरकार को यहां तक चुनौती दे डाली कि अब लखनऊ को भी दिल्ली की तरह बनाया जाएगा।
कृषि कानून वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन
राकेश टिकैत ने चाइना बाजार स्थित लखनऊ प्रेस क्लब में आहूत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे। आंदोलन की अगली कड़ी में लखनऊ के भी सारे रास्ते किसान उसी प्रकार खुद सील कर देंगे, जिस तरह दिल्ली में चारों तरफ के रास्ते सील हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की इस मीडिया कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव समेत कई किसान नेता मौजूद रहे। इस दौरान मिशन उत्तर प्रदेश के तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोलने की भी घोषणा की।
यूपी में सबसे महंगी बिजली, गन्ने का भुगतान भी बकाया
टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश हमेशा आंदोलन का प्रदेश रहा है। मूंग के किसानों ने तीन हजार रुपये सस्ती फसल बेची। आलू का किसान बर्बाद हुआ है। गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ का भुगतान बाकी है। पिछली सरकारों में आंदोलन के बाद रेट बढ़ता रहा, लेकिन इस सरकार ने कुछ नहीं बढ़ाया। यही नहीं वरन इस राज्य में किसानों को सबसे महंगी बिजली भी मिलती है।
मुजफ्फरनगर में 5 सितम्बर को होगी बड़ी पंचायत
किसान नेता ने कहा कि आगामी पांच सितम्बर को मुज्जफरनगर में बड़ी पंचायत के आयोजन से यूपी में आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। संयुक्त मोर्चा ने आठ महीने तक आंदोलन करने के बाद ये फैसला लिया है कि यूपी और उत्तराखंड के साथ पूरे देश में इस आंदोलन को बढ़ाएंगे।
‘चुनाव नहीं लड़ूंगा, भाजपा भूल जाए कि उसे वोट देंगे’
राकेश टिकैत ने चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा, ‘हम चुनाव नहीं लड़ेंगे और किसान जिस पार्टी से खुश होगा, उसे वोट देगा। भाजपा से मेरी लड़ाई चल रही है, इसीलिए ये तो भूल जाएं कि इन्हें वोट मिलेगा। पहले भी इनके खिलाफ विपक्ष ने आवाज उठाई थी तो भाजपा यह बताए कि उन्हें कितने में खरीदा था।’