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तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने दिया इस्तीफा, सरकारी आवास छोड़ अपने फॉर्म हाउस लौटे

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हैदराबाद, 3 दिसम्बर। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के मुखिया के. चंद्रशेखर राव ने 10 वर्षों बाद राज्य की सत्ता गंवाते ही रविवार की शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया और महानगर के मध्य बेगमपेट स्थित सरकारी आवास छोड़कर अपने फॉर्म हाउस लौट गए।

कांग्रेस ने 64 सीटों के साथ हासिल किया बहुमत

गौरतलब है कि पूर्वाह्न आठ बजे से राज्य के 49 केंद्रों पर शुरू हुई मतगणना शाम को खत्म हो गई। तेलंगाना में कुल 119 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने बीआरएस को बड़ा झटका देते हुए बहुमत का आंकड़ा (60 सीट) पार कर 64 सीटें जीतीं जबकि बीआरएस 39 सीटें ही जीत सकी और उसका राज्य में हैट्रिक जमाने का सपना बिखर गया।

भाजपा 8 सीटों के साथ राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

भाजपा आठ सीटों के साथ राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के सात और सीपीआई के एक उम्मीदवार ने जीत हासिल की। कांग्रेस की जीती एक सीट का एलान तकनीकी कारणों के कारण देर से किया गया।

केसीआर ने ओएसडी के जरिए राज्यपाल के पास भेजा इस्तीफा

प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनाव परिणामों में अपनी हार स्वीकार करते हुए केसीआर ने राजभवन मार्ग स्थित राज्यपाल भवन में राज्यपाल डॉ. तमिलसाई सुंदरराजन के पास अपने ओएसडी के जरिए इस्तीफा भेजा और सरकारी आवास छोड़कर अपने फॉर्म हाउस चले गए।

इसके पहले केसीआर के बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के. तारक रामाराव ने कांग्रेस पार्टी की जीत पर बधाई देते हुए अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली थी और कहा था कि पार्टी 2023 में मिले जनादेश से निराश है, लेकिन हताश नहीं। पार्टी एक बार फिर मेहनत करके सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी।

बीआरएस नेताओं और ब्यूरोकेसी के रवैये से जनता अच्छी खासी नाराज थी

गौरतलब है कि तेलंगाना राज्य के गठन के बाद वर्ष 2014 से लगातार दो कार्यकाल पूरा करने वाली बीआरएस के नेताओं को पक्की उम्मीद थी कि एक और जीत के साथ केसीआर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन उनके पार्टी के नेताओं और सरकार के अफसरों के रवैये से जनता अच्छी खासी नाराज थी। वहीं कांग्रेस पार्टी के चुनावी अभियान से प्रभावित होकर अबकी बार जनता ने बीआरएस के उम्मीदवारों और उनकी सरकार को सबक सिखाने का मन बना लिया था। इसीलिए कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत के साथ सत्ता में लाने की पहल की है।

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