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बिखर गया टीम इंडिया का स्वप्न, ट्रेविस हेड के पराक्रमी शतक से ऑस्ट्रेलिया ने छठी बार जीता क्रिकेट विश्व कप

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अहमदाबाद, 19 नवम्बर। करोड़ों प्रशंसकों की आसमानी आकांक्षाओं के बीच टीम इंडिया का तीसरी बार आईसीसी एक दिनी क्रिकेट विश्व कप जीतने का स्वप्न रविवार की रात यहां बिखर गया, जब शक्तिशाली ऑस्ट्रेलिया ने गेम के हर पहलू में मेजबानों को पछाड़ा और ओपनर ट्रेविस हेड के पराक्रमी शतकीय प्रहार (137 रन, 120 गेंद, चार छक्के, 15 चौके) की मदद से 42 गेंदों के शेष रहते छह विकेट की आसान जीत दर्ज कर छठी बार ट्रॉफी पर अपना नाम लिखा लिया।

भव्य नरेंद्र मोदी स्टेडियम में अपराह्न जब भारतीय टीम उतरी तो उसके पीछे 1.30 लाख उत्साही समर्थकों में अधिसंख्य का अपार समर्थन था। इसके पीछे वजह भी थी कि रोहित शर्मा एंड कम्पनी राउंड रॉबिन लीग के सभी नौ मैचों में अपराजेय रहते हुए सेमीफाइनल तक पहुंची थी और वहां भी उसने रनों का पहाड़ खड़ा करने के बाद गत उपजेता न्यूजीलैंड को बाहर का रास्ता दिखाया था।

भारत ने टूर्नामेंट में पहली बार गंवाए सभी विकेट

फिलहाल अपेक्षाकृत धीमे नजर आ रहे विकेट पर पहले बल्लेबाजी पर बाध्य भारतीय टीम को अनुशासित कंगारू आक्रमण के सामने मौजूदा संस्करण में पहली बार सभी विकेट गंवाने पड़े और केएल राहुल (66 रन, 107 गेंद, एक चौका), विराट कोहली (54 रन, 63 गेंद, चार चौके) व कप्तान रोहित शर्मा (47 रन, 31 गेंद, तीन छक्के, चार चौके) के प्रयासों से वह 50 ओवरों में 240 रनों तक पहुंच सकी। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 43 ओवरों में चार विकेट पर ही 241 रन बनाकर अपनी श्रेष्ठता पुजवा दी।

खराब शुरुआत के बाद ऑस्ट्रेलिया की जबर्दस्त वापसी

सामान्य लक्ष्य के सामने ऑस्ट्रेलिया को शुरुआती दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जब सात ओवरों में 47 रनों के भीतर तीन शीर्ष बल्लेबाज – डेविड वॉर्नर (7), मिचेल मार्श (15) व स्टीव स्मिथ (4) क्रमश: मो शमी (1-47), जिन्होंने इस विश्व कप में सबसे ज्यादा 24 विकेट लिए, व जसप्रीत बुमराह (2-43) के शिकार बन चुके थे। लेकिन ओपनर ट्रेविस हेड ने मौके की नजाकत समझी और सिर झुकाकर बल्लेबाजी शुरू की।

ट्रेविस हेड व लाबुशेन के बीच 192 रनों की मैच जिताऊ साझेदारी

इसके बाद मैदान पर जब ओस गिरनी शुरू हुई तो स्ट्रोक प्ले आसान होता गया। फिर तो ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ ट्रेविस हेड ने न सिर्फ मौजूदा संस्करण का अपना दूसरा शतक ठोक दिया वरन मार्नस लाबुशेन (नाबाद 58 रन, 110 रन, चार चौके) के साथ 215 गेंदों पर 192 रनों की मैच जिताऊ साझेदारी से ऑस्ट्रेलिया को ट्रॉफी दिला दी।

स्कोर कार्ड

हालांकि 43वें ओवर में सिराज पर विजयी स्ट्रोक लगाने में ट्रेविस हेड कैच थमा बैठे। लेकिन नए बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल (नाबाद 2 रन) ने अगली ही गेंद पर टीम की जीत को अंतिम स्पर्श दे दिया। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ी जश्न मनाने के लिए मैदान में दौड़ पड़े।

तेज शुरुआत के बाद कंगारू गेंदबाजों ने भारतीयों पर लगाया अंकुश

इसके पूर्व भारतीय पारी की बात करें तो रोहित शर्मा स्वभावतः आक्रामक अंदाज में नजर आए। हालांकि शुभमन गिल (4) जल्द निकल गए, जिन्हें मिचेल स्टार्क (3-55) ने पांचवें ओवर में 30 के स्कोर पर लौटाया। विराट ने उतरते ही एक ओवर में तीन चौके जड़े और रोहित संग तेजी से स्कोर बढ़ाया तो पांच गेंदों के अंदर रोहित व श्रेयस अय्यर (4) निकल गए। इसके साथ ही कंगारू गेंदबाज हावी हो गए। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि 11वें से 40वें ओवर के बीच भारतीय बल्लेबाज सिर्फ दो बाउंड्री लगा सके।

रोहित की बात करें तो पहले पॉवर प्ले के अंतिम ओवर में मैक्सवेल पर छक्का और चौका जड़ने के बाद उन्होंने फिर आक्रामक स्ट्रोक खेला, लेकिन ट्रेविस हेड ने उनका शानदार कैच पकड़ लिया (2-76)। वहीं अगले ओवर में कप्तान पैट कमिंस (2-34) ने विकेट के पीछे जॉश इंग्लिस से कैच करा दिया।

प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंटकोहली व राहुल के बीच 67 रनों की सबसे बड़ी भागीदारी

टूर्नामेंट में तीन शतक सहित सर्वाधिक 765 रनों के साथ ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ बने विराट कोहली ने दो लगातार झटके लगने के बाद राहुल संग धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी की। इस क्रम में विराट ने मौजूदा संस्करण का छठा अर्धशतक जमाया, लेकिन कमिंस ने 29वें ओवर में न सिर्फ भारतीय पारी की 67 रनों की सबसे बड़ी भागीदारी तोड़ी वरन कोहली को बोल्ड मारने के साथ दल को सबसे बड़ा झटका दे दिया (4-148)।

कंगारू विकेटकीपर इंग्लिस ने पांच शिकार किए

इस आघात के बाद तो सिर्फ राहुल ही कुछ दम दिखा सके और इस विश्व कप में अपना दूसरा पचासा पूरा किया। अंततः उनके, सूर्यकुमार यादव (18) व कुलदीप (10) के प्रयासों से स्कोर 240 तक पहुंचा, जो बाद में नाकाफी साबित हुआ। स्टार्क व कमिंस के अलावा जोश हेजलवुड ने दो विकेट लिए जबकि इंग्लिस ने विकेट के पीछे पांच शिकार किए।

भारतीय सरजमीं पर ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी बार जीती ट्रॉफी

देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय सरजमीं पर दूसरी बार ट्रॉफी जीती है। इसके पूर्व कंगारुओं ने 1987 में भारत की मेजबानी में आयोजित संस्करण में अपनी छह ट्रॉफियों में पहली जीती थी। फिर उन्होंने 1999, 2003 व 2007 में लगातार तीन बार श्रेष्ठता सिद्ध की और 2015 में घरेलू मैदान पर वे पांचवीं बार चैम्पियन रहे थे।

घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने का सिलसिला भी टूटा

इसी क्रम में घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने का सिलसिला भी टूट गया, जो भारत ने ही वर्ष 2011 में शुरू किया था। तब महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में भारत ने दूसरी बार चैम्पियन का श्रेय अर्जित किया था। वर्ष 2015 में ऑस्ट्रेलिया और फिर 2019 में इंग्लैंड ने अपने घर में विश्व कप जीता। फिलहाल इस बार भारत इस क्रम को आगे नहीं बढ़ा सका।