नई दिल्ली, 5 फरवरी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस वर्ष प्रस्तावित एशिया कप में भागीदारी के लिए अपनी टीम पाकिस्तान नहीं भेजेगी। इसी क्रम में बीसीसीआई सचिव जय शाह और पीसीबी चेयरमैन नजम सेठी के बीच शनिवार को बहरीन में हुई पहली औपचारिक मुलाकात के बाद एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) टूर्नामेंट के वैकल्पिक स्थल पर मार्च में फैसला करेगी।
गौरतलब है कि एशिया कप की मेजबानी का अधिकार शुरू में पाकिस्तान को दिया गया था और इसे सितम्बर, 2023 में कराया जाना था। लेकिन एसीसी के चेयरमैन शाह ने पिछले वर्ष अक्टूबर में घोषणा की कि भारतीय टीम पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात के तीन स्थल – दुबई, अबुधाबी और शारजाह – टूर्नामेंट की मेजबानी के प्रबल दावेदार हैं। फिलहाल कुछ समय के लिए फैसला टाल दिया गया है।
एसीसी सदस्य देशों के सभी प्रमुखों ने बहरीन में हुई आपात बैठक में हिस्सा लिया, जो पीसीबी चेयरमैन सेठी के कहने पर बुलाई गई थी क्योंकि एसीसी द्वारा महाद्वीपीय संस्था का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है, जिसमें पाकिस्तान को मेजबान का नाम नहीं दिया गया।
विराट, रोहित और गिल जैसे खिलाड़ियों के बिना टूर्नामेंट से प्रायोजक हट जाएंगे
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने मीडिया को बताया, ‘एसीसी के सदस्यों ने मुलाकात की और इसमें काफी सकारात्मक चर्चा हुई। लेकिन स्थल कहीं ओर करने पर फैसला मार्च तक स्थगित कर दिया गया। लेकिन आश्वस्त रहिए कि भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं जा रही। टूर्नामेंट को ही कहीं ओर कराया जाएगा। विराट कोहली, रोहित शर्मा और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों के बिना टूर्नामेंट से प्रायोजक हट जाएंगे।’
दूसरी तरफ एसीसी के अंदरूनी सूत्र ने कहा कि सेठी हाल में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) चेयरमैन बने हैं और अगर वह पहली ही बैठक में पीछे हट जाते तो उनके देश में इसका खराब असर पड़ता। पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहा है। एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट का आयोजन करना पीसीबी के लिए नुकसान का सौदा साबित होगा, भले ही एसीसी इसके लिए अनुदान दे।
यही वजह है कि रणनीतिक तौर पर अगर टूर्नामेंट संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कराया जाता है तो पूरी संभावना है कि सभी सदस्य देशों को भी प्रसारण राजस्व से अपना हिस्सा मिलेगा। एक अन्य फैसले में एसीसी ने अफगानिस्तान क्रिकेट संघ को दिया जाने वाला सालाना बजट छह से 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। एसीसी ने आश्वस्त किया कि इससे अफगानिस्तान बोर्ड को हर संभव तरीके से मदद करेगा ताकि देश में महिला क्रिकेट को बहाल किया जा सके। तालिबान ने महिलाओं के खेलने पर पांबदी लगायी हुई है।